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उझानी- वटवृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्य

।****** उझानी बदायूं 6 जून 2024। नगर में आज हर वर्ष की तरह सुहागन महिलाओं द्वारा व्रत रखकर वटबृक्ष की पूजा अर्चना कर अखंड सौभाग्य की कामना की । ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वटवृक्ष की जडों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान है एवं इस वृक्ष की लटकती हुई शिराओं में देवी सावित्री का निवास है।
अक्षयवट के पत्र पर प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कण्डेय को दर्शन दिए थे। तुलसीदास जी ने इस अक्षयवट को तीर्थराज का छत्र कहा है। तीर्थो में पंचवटी का महत्व है। पांच वटों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है। मुनि अगस्त्य के परामर्श से श्री राम ने सीता व लक्ष्मण के साथ वनवास काल में यहां निवास किया था।

इसीलिए महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्वि के लिए यह व्रत रखती है। वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुनः जीवित किया था तब से यह व्रत ’वट सावित्री’ के नाम से जाना जाता है।

सौभाग्य वृद्धि और पतिव्रता धर्म को आत्मसात करने का महापर्व है ‘वट सावित्री व्रत’।
यही कारण है कि महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है,परिवार पर किसी प्रकार का कोई संकट नहीं आता। वट वृक्ष की नियमित पूजा करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण के अनुसार इस वृक्ष की पूजा यदि सुबह-शाम की जाए तो दांपत्य जीवन सुखद बनता है,सभी कष्ट दूर हो जाते हैं एवं मनुष्य निरोगी रहता है। आज नगर में संत आसाराम आश्रम व अन्य मंदिरों में जहां वटबृक्ष है महिलाओं की भीड देखी गई। राजेश वार्ष्णेय एमके