11:44 am Friday , 31 January 2025
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बेशाखियों’ की सरकार में क्या होगा मोदी की गारंटियों का ?

‘***** राजनीति के माहिर खिलाड़ी नायडू और नीतीश को कैसे करेंगे मैनेज?
******””** बदायूं 5 मई।
भाजपा को इस बार तीसरी बार सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचने के लिए सहयोगियों की जरूरत होगी। 272 का जादुई आंकड़ा छूने के लिए इस बार भाजपा को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के कंधे की जरूरत पड़ेगी। दोनों को साधने के लिए भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन दोनों का साथ भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला है।
18वीं लोकसभा की सियासी तस्वीर करीब-करीब साफ हो चुकी है। हालांकि नतीजे चौंकाने वाले रहे, लेकिन भाजपा ने सहयोगियों के साथ सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि इस बार बदलाव ये होगा कि मोदी 3 सरकार इस बार सहयोगियों की ‘बैसाखियों’ के सहारे चलेगी। वहीं, ‘सहारे’ की सरकार चलाना भाजपा और मोदी के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। क्योंकि मोदी ने अब तक पूर्ण बहुमत की सरकारें ही चलाई है ‌। जिन मुद्दों के सहारे हवा बनाकर भाजपा चुनावों में उतरी थी, मोदी 3 में उन्हें सहयोगियों के सहारे जमीन पर उतारना कठिन साबित होने वाला है। इनमें वन इलेक्शन-वन नेशन, यूनिफॉर्म सिविल कोड शामिल हैं, इन्हें भाजपा के संकल्प पत्र और मोदी की गारंटी में शामिल किया गया है। इन्हें लागू करने को लेकर आने वाले समय में भाजपा की सहयोगियों के साथ खटपट हो सकती है। 272 का जादुई आंकड़ा पाने के लिए इस बार भाजपा को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहारे की जरूरत होगी। लेकिन दोनों का साथ इस समय की भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला है। टीडीपी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने लोकसभा स्पीकर, रोड ट्रांसपोर्ट, रूरल डेवलपमेंट, हेल्थ, हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, कृषि, जल शक्ति, आईटी एंड कम्यूनिकेशंस, एजुकेशन, फाइनेंस (एमओएस) समेत पांच-छह कैबिनेट और राज्य मंत्री का पदों की डिमांड की है। वहीं जेडीयू ने भी कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व मांगा है।
नायडू ने मोदी को कहा था ‘कट्टर आतंकवादी’
यह पूछने पर कि नायडू और नीतीश के साथ भाजपा के रिश्ते तो इतने सहज नहीं रहे हैं, तो इस पर भाजपा के सूत्र कहते हैं कि सरकार बनानी है, तो दोनों को साधना होगा और भाजपा नेतृत्व इसमें माहिर है। हालांकि दोनों दलों का साथ भाजपा के लिए इतना भी आसान नहीं रहने वाला है, क्योंकि जरूरत के वक्त अगर किन्हीं मुद्दों पर उन्होंने भाजपा के साथ असहमति जताई, तो ये समर्थन की समीक्षा करने में भी संकोच नहीं करेंगे। इसका ट्रेलर भाजपा 2018 में देख चुकी है। जब आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर टीडीपी ने मोदी सरकार का साथ छोड़ दिया था। दोनों के रिश्ते इतने खराब हो गए थे कि नायडू ने मोदी को ‘कट्टर आतंकवादी’ तक बता दिया था। 2018 में टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडू की तुलना ‘भ्रष्ट राजनीतिज्ञ’ से की थी। बाद में, 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जब टीडीपी ने जब दोबारा से भाजपा के साथ संबंध जोड़ने की कोशिश की, तो भाजपा ने एनडीए में वापसी को लेकर कड़ा रुख अपनाया था। जब इस साल फरवरी में जेल से रिहा होने के बाद नायडू ने अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ एक मीटिंग की ,तो लोकसभा चुनाव की राजनीतिक जरूरत के चलते रिश्ते सामान्य हुए थे। सुशील धींगडा संपादक