गायत्री शक्ति पीठ बहेड़ी पर उतर प्रदेश हिन्दी प्रचार समिति के बैनर तले एक काव्य संध्या का आयोजन कवि षटवदन शंखधार की वैवाहिक द्वितीय वर्षगांठ के उपलक्ष्य मे किया गया | जिसमे सबसे पहले अरहित पौधा रोपण समिति बिल्सी द्वारा प्रशांत जैन ने कवि षटवदन शंखधार सप्तनी पौधा रोपण कराया | उसके बाद सचिन जी द्वारा दीप यज्ञ का कार्यक्रम आयोजित किया गया | फिर काव्य संध्या की शुरुआत हुई | जिसमें सबसे पहले सरस्वती वंदना ओजस्वी जौहरी ने पढी |
उसके बाद विष्णु असावा ने कहा –
जर्जर काया बूढ़ी माँ की घर में टूटी खटिया पर
चार चार बेटे हैं फिर भी उसे भरोसा लठिया पर
बदायूं का युवा कवि विवेक अज्ञानी ने कहा
जब वो शख्स इन आंखों को दिखलाई नहीं देता
ये दिल उस दिन कहीं जाने की गवाही नहीं देता
अचिन मासूम ने पढा —
नींद टूटे मगर ख्वाब टूटे नहीं
एक दूजे से कोई भी रूठे नहीं
हो अमर आपका प्रेम कुछ इस तरह
सांस टूटे भले साथ छूटे नहीं ।।
बिल्सी से पधारे ओजस्वी जौहरी ने कहा–
पीर दिल में है अगर तो गम दबाना सीख ले
मुफलिसी के दौर में हंसना हँसाना सीख ले।
भूख से कब तक लड़ेगा जीतना मुमकिन नहीं
चाँद को रोटी समझ और मुस्कुराना सीख ले।
बदायूं से ललतेश कुमार ललित ने बधाई देते हुए पढा
विवाह एक प्यार का बंधन, इसे मिलकर निभाना है,
समंदर प्यार का गहरा हमें अब डूब जाना है,
सुगम हो रास्ता या फिर कोई हो वाधा जीवन में,
हमें मिलकर ही चलना है, मिलकर पार पाना है।
षटवदन शंखधार ने पढा—
कोई पल भी न बीते तुम्हारे बिना
जिंदगी अब न जीते तुम्हारे बिना
गंगाजल के बिना जैसे गंगाजली
ऐसे अब हम हैं रीते तुम्हारे बिना
बदायूं से हर्षवर्धन मिश्रा ने कहा –
तुम्हें जग के सभी दे सुख, सुखी संसार दे मालिक
तेरे जीवन में खुशियों को भी, अपरम्पार दे मालिक
रखे तुमको सलामत वो, ज़माने की बलाओं से
मेरी ये है दुआ तुमको, वो ढेरों प्यार दे मालिक।
उसावां से अमित अम्बर ने पढ़ा
हम न डरते आंधियों से चाहे जो परिणाम हो
कर्म वह करते हैं जिससे भारती का मान हो
युद्ध के तुम पक्षधर हम बुद्ध के अनुयाई हैं
गर्व से कहते हैं हम कि विश्व का कल्याण हो।
कार्यक्रम का संचालन हर्षवर्धन मिश्रा ने किया |
प्राची मिश्रा शंखधार ने सभी का आभार व्यक्त किया |
कार्यक्रम में पवन शंखधार, प्रदीप दुबे, ह्देनंदर शंखधार, सचिन जी, मारुति नंदन, प्राची मिश्रा, रमेश चन्द्र शंखधार, माया देवी सक्सेना आदि लोग उपस्थित रहें|