Vandana
संध्या की बेला
जब गांवों में दोस्त इकट्ठे होते
मिलकर खूब मस्ती करते
किसी बाग में फिर चोरी से जाते
और पके आम दो चार तोड़ लाते
सच पूंछो वो आम बड़े मीठे थे
क्योंकि वह चोरी के थे
ना तो अब वह बाग बचे
और ना ही अब वह बचपन
दादा जी सब याद दिलाते
जब उमर हो गई पछपन
शुभ संध्या
