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गर्मी की सबसे बड़ी वजह ,जलवायु परिवर्तन ओर हरियाली

बदायूं 28 मई।
पूरा देश इस समय भीषण गर्मी से जूझ रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर गंभीर खतरा हो सकता है। आगामी दिनों में लू का जोखिम और बढ़ने की आशंका है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच गया।
मौसम विभाग के मुताबिक अगले पांच दिन तक रात के पारे में कोई बदलाव के आसार नहीं है। रात का तापमान विशेष रूप से खतरनाक होता है। हर साल तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त हो रहे हैं। मौसम के बदलाव ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। देश के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण पिछले सप्ताह पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गया। इससे कई राज्यों में पानी की कमी बढ़ गई और जल विद्युत उत्पादन पर असर पड़ा है। विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, देश का करीब 75 फीसदी कार्यबल कृषि और निर्माण क्षेत्र में गर्मी का सीधे सामना करने वाले श्रम पर निर्भर करता है।

आंकड़ों के मुताबिक 2030 तक गर्मी के प्रकोप से जुड़ी उत्पादकता में गिरावट की वजह से दुनिया भर में कुल होने वाली नौकरियों के नुकसान में अकेले भारत का योगदान करीब 43 फीसदी तक हो सकता है। वास्तव में आज पूरी तरह से जलवायु परिवर्तन हो चुका है और इसका खामियाजा इंसान को भुगतना पड़ रहा है। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण लोगों के जीवन जीने के तौर-तरीकों में काफी परिवर्तन आया है। विश्व भर की सड़कों पर वाहनों की संख्या काफी अधिक हो गई है।
खतरनाक गैसों के उत्सर्जन में काफी अधिक योगदान दिया है। यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय रूप से कमी नहीं की गई, तो सदी के मध्य तक अधिकांश क्षेत्रों में दैनिक उच्च और निम्न तापमान में कम से कम 5 डिग्री फ़ाॅरेनहाइट की वृद्धि होगी, जो सदी के अंत तक 10 डिग्री फाॅरनेहाइट तक बढ़ जाएगी। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है एवं इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता बन गई है।

जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। आधुनिक युग में जैसे-जैसे मानवीय गतिविधियां बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी वृद्धि हो रही है जिसके कारण तापमान में वृद्धि हो रही है। यानि यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से विचार करने का है।