बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
बदायूं के मतदाता भी अजीबोगरीब हैं इनकी निगाह अपनी समस्या को दूर करने पर नहीं रहती बस यह उसकी तरफ देखते हैं जो इनकी चिंता का जिक्र करके देखते ही देखते करोडपति बन गए और इनमें तमाम करोडपति तो इतने ताजा और वर्तमान समय के हैं जो ज्यादा नहीं पांच – सात वर्ष पूर्व सुबह से शाम तक रोटियों को परेशान दिखा करते हैं। बदायूं के इन नवनिर्मित करोडपतियों की तरफ किसी की निगाह नहीं जा रही कि बिना कोई कारोबार किये राजनीति में आने के बाद इन फिक्रमंदों के हाथ कौन सा अल्लादीन का चिराग हाथ लग गया है जो जनता की चिंता का जिक्र करके देखते देखते कुबेर के दृखजाने के स्वामी बन गए।