बिना शब्द के प्रार्थना हो रही है
विनय के बिना वन्दना हो रही है
बिल्सी में आयोजित की गई काव्य गोष्ठी
बिल्सी। नगर के मोहल्ला संख्या पांच निवासी कवि आशीष वशिष्ठ के आवास पर कवि काका देवेश की 15वीं पुण्यतिथि पर एक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता गीतकार नरेंद्र गरल ने की सरस्वती वंदना से काव्यपाध्का प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम में सबसे पहले सुवीन माहेश्वरी ने पढ़ा-
प्रणाम करते हैं हम उनके सम्मान को
अधरों पर खिलती देखी मुस्कान को
भूले से भी भूल नहीं पायेगा कोई
उनकी बनी दुनिया में उनकी पहचान को
विष्णु असावा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पढ़ा-
छोड़ कर असमय ही बिल्सी नगरिया को
राम जी के धाम को पयान कर गए हो
तुच्छ सी ये नगरी थी आप जो पधारे यहाँ
चरणों की धूल से महान कर गए हो
ओजस्वी जौहरी ने पढ़ा-
पिता तुल्य संरक्षक ही थे और भगवन थे ताऊ जी
ताई जी का चूड़ी कँगना, घर आँगन थे ताऊ जी
आशीष वरिष्ठ ने पढ़ा-
स्नेह प्रेम की बगिया के पत्ते झड़ते जाते हैं
दिन दूने बस्तु के भाव मत्थे मढ़ते जाते हैं
कष्ट प्रदायक हर सीढ़ी है पर चढ़ते जाते हैं
सुरापान अपराध किन्तु ठेके बड़ते जाते हैं
खा खाकर फटकार मूर्खो की डीलिट बैठे हैं
बदल बदल कर रंग कुर्सियों पर गिरगिट बैठे हैं
इसके बाद नरेंद्र गरल ने पढ़ा-
बिना शब्द के प्रार्थना हो रही है
विनय के बिना वन्दना हो रही है
चले आओगे मुस्कुराते हुए तुम
ह्रदय में यही कल्पना हो रही है
इस मौके पर हेमचंद्र वशिष्ठ, राम जी, नीरज खासट, लोकेश बार्ष्णेय, राकेश माहेश्वरी, तेजस्वी जौहरी, अर्पित जौहरी, निशान्त माहेश्वरी, रजनीश शर्मा आदि उपस्थित रहे।