जीवमात्र के लिए गंगा एक जल स्रोत तो है ही साथ ही वह धरती पर एकमात्र ऐसी नदी है,जिसके स्पर्श और स्मरण मात्र से मनुष्य के तीनों तापों और मन के संताप का विनाश हो जाता है। यह पूजनीय है वन्दनीय है ।देवी माँ गंगा को भगीरथ प्रयास से पृथ्वीलोक पर लाया गया था,किन्तु इसका वेग इतना तीव्र था के सम्पूर्ण सृष्टि प्रभावित हो जाती अत:समस्त देवी देवताओं ने भागीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की भगवान शिव ने अपनी जटाओं
को फैला दिया और गंगा को अपनी जटाओं में बांध लिया ।पुराणों के अनुसार गंगा जी आज वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन शिव की जटाओं में अवतरित हुई औरज्येष्ठ माह में शुक्लपक्ष की दशमी को माँ गंगा धरती पर अवतरित हुई। अत:गंगासमग्र सम्पूर्ण भारत में गंगा के प्रति जन जागरण माह के स्वरुप में ,गंंगाआरती,गंगायात्रा,हवन-पूजन, विद्यालय में गोष्ठी, चर्चा परिचर्चा आदि कार्य क्रम चला कर समाज को गंगा की अविरलता और निर्मलता के प्रति जागरूक करने कार्य कर रहा है।आज बदायूँ गंगासमग्र ने कछला गंगा किनारे स्वच्छता अभियान चलाया व गंगा स्नान किया,जगह जगह गंगा मैया का पूजन अर्चन हुआ ।नीरज,सुनीता,चेयरमैन जगदीश,पूर्वी,साधना,सहित गंगासमग्र के अनेक कार्य कर्ता उपस्थित रहे।