उझानी बदायूं 12 मई 2024 धरती पर श्रेष्ठतम कृति है मां, जानिए मदर्स डे के अवसर पर इसका महत्व और इतिहास मां भगवान का दिया हुआ सबसे बड़ा आशीर्वाद हैं. एक मां का अपने बच्चों के प्रति जो निःस्वार्थ प्रेम होता है, उसकी तुलना किसी और चीज से नहीं की जा सकती है। कैसे इस दिन की शुरुआत हुई और हर साल क्यों मनाया जाता है मदर्स डे।
मदर्स डेः हर साल मई के दूसरे संडे को पूरी दुनिया में काफी खास और अनोखे तरीकों से मनाया जाता है । इस वर्ष ये खास दिन 12 मई को है। यह दिन सभी माताओं को सम्मान और उनका आभार जताने का खास अवसर होता है. बता दें. ‘मां’ वह शब्द हैं जो दुनिया के हर इंसान के लिए सबसे खास है। मां और बच्चों का रिश्ता सबसे प्यारा होता है मां का प्यार वह ईंधन है जो एक सामान्य इंसान को असंभव काम करने में सक्षम बनाता है। जिससे उसकी गाड़ी सफलता की पटरी पर दौड़ने लगती है। हम सभी के जीवन। में मां का स्थान सबसे उपर होता है। क्योंकि, मां वो पहली गुरु होती हैं जिन्होंने हमें चलना, बोलना और प्यार करना सिखाया। मां पल-पल जितने बलिदान अपने बच्चें के लिए देती है उसका शुक्रिया करने लिए एक दिन तो क्या बल्कि पूरी उम्र कम है, फिर भी एक खास दिन को मां के नाम कर दिया गया है । इस साल यह खास दिन 12 मई को मनाया जा रहा है। यह दिवस लोगों को अपनी मां के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करने का मौका देता है। ज्यादातर देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। लेकिन कई देशों में इस खास दिन को अलग-अलग तारीखों पर भी मनाया जाता है। कई मान्यताएं हैं
मदर्स डे को लेकर कुछ का मानना है कि मदर्स डे के इस खास दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। लोगों के मुताबिक, वर्जिनिया में एना जार्विस नाम की महिला ने मदर्स डे की शुरुआत की थी। कहा जाता है कि एना अपनी मां से बहुत प्यार करती थी और उनसे बहुत प्रेरित थी। उन्होंने ना कभी शादी की और ना उन्हें कोई बच्चा था, मां के निधन के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। फिर धीरे-धीरे कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा. ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को वर्जिन मेरी के दिन के रूप में भी मानते हैं। बता दें, इसके अलावा यूरोप और ब्रिटेन में भी मां को सम्मानित करने के लिए तमाम प्रथाएं प्रचलित है जिसके तहत किसी खास रविवार को मदरिंग संडे के रूप में मनाया जाता है। ग्रीस से हुई थी मदर्स डे की शुरुआत
इससे जुड़ी एक और कहानी है जिसके अनुसार, मदर्स डे की शुरुआत ग्रीस से हुई थी. ग्रीस के लोग अपनी मां का बहुत सम्मान करते हैं। इसलिए वो इस दिन उनकी पूजा करते थे. मान्यताओं के अनुसार, स्यबेसे ग्रीक देवताओं की माता थीं और मदर्स डे पर लोग उनकी पूजा करते थे। मां का सभी के जीवन में योगदान अतुलनीय है. फिर चाहे ऑफिस और घर दोनों जगह में संतुलन क्यों ना बनाना पड़ा हो, मां ने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा है, दुनिया में हर रिश्ते का कोई दूजा विकल्प हो सकता है लेकिन मां का नहीं। उसकी जगह ना आजतक किसी ने ली थी ना भविष्य में ही कोई ले पाएगा, यहां तक कि ईश्वर भी नहीं ,कहते है ईश्वर ने भी मां को इसलिए बनाया क्योंकि वह खुद हर जगह अपनी मौजूदगी कायम नहीं रख सकता।
इस दिन को औपचारिक मान्यता तब मिली जब 1914 को अमेरिकी राष्ट्रपति व्रुडो विल्सन ने एक कानून पारित किया, जिसमें लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा. इसी के बाद से चीन, भारत समेत कई देशों में ये खास दिन मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा।
वैसे तो मां को प्यार करने और तोहफे देने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, लेकिन फिर भी मदर्स डे के दिन मां को तमाम तरह के गिफ्ट्स भेंट कर सम्मान दिया जाता है. तो आप भी मदर्स डे के इस खास मौके पर अपनी मां के साथ समय बिताएं । राजेश वार्ष्णेय एमके