ये तुमने आज मुझसे कह दिया क्या
हमेशा ज़ख्म ही दोगे नया क्या
उठा रक्खा है सर पे आसमां क्यूं
अभी मैने तुम्हें कुछ भी कहा क्या
तुम अपने अज्म को मोहकम करो ख़ुद
किसी से माँगती हो हौसला क्या
हमेशा ख़ुद को देखा आईने में
तुम्हें दुनिया के ग़म से वास्ता क्या
घना साया है तेरे सर के ऊपर
तपिश इस धूप की तुझको पता क्या
अभी तक थीं अँधेरे में सिया तुम
समझ अब आई दुनिया है बला क्या
सिया सचदेव