11:34 am Friday , 31 January 2025
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रोटी कपड़ा और मकान – डॉ.कमला माहेश्वरी ‘कमल’

डॉ.कमला माहेश्वरी ‘कमल’, बदायूंँ । उ.प्र. ।

1 मई 2024 मजदूर दिवस के उपलक्ष में –

रोटी कपड़ा और मकान
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●रोटी कपड़ा घर हितू ,रहता जब मज़बूर।
करता मेहनत रात-दिन हेतु इसी मज़दूर ।।
●खेती बाड़ी से चले,काम न घर परिवार ।
तब आता वो शहर में, बन श्रमिक लाचार ।।
●जीवन के आयाम हित,चले शहर तज गाँव ।
बोझे पर इतने लदे पड़े फफोले पाँव ।।
●दर्द समझ पाये नहीं, जब कोई मदचूर ।
बनता तब मजदूर जन,हो करके मज़बूर ।।
●शोषण से जब मुक्त हो,तब हो खुश मज़दूर।
स्वपूरा पोषण कर सके,खुशियांँ हो भरपूर ।।
●दर्द समझ पाये नहीं,जब करवा बेगार।
तब मन दुखता है सदा,काम करे बैज़ार ।।
●सरिता बाँध बनाइ के ,देता बिजली तार ।
अँधियारे में सो रहा ,अपना ही परिवार ।।
● जान हथेली पर लिए,कर्म करे हर बार ।
ठोकर घर दर शहर थल,पाता हो निरधार ।।
●व्यथा हृदय की क्या कहे,सहे जो बे मन दंश ।
इस कारण सहता रहे,पीर सदा ही वंश ।।
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मौलिक, स्वरचित .