3:32 am Friday , 31 January 2025
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चुनाव अनंत, समस्याए अनंता, जीत जाओ तो भूल जाओ जनता ?

बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
पालनहारों को निधि मिलने के बाद से एक बात पूरी तरह साफ हो गई है कि चुनाव जीतने के बाद हमारे किसी पालनहार को जनता की याद नहीं आती, समस्याएं दिखना बंद हो जाती है और बस अपनी तिजोरी भरने का एक मात्र रास्ता दिखना षुरू हो जाता है, चुनाव के समय दिनरात एक करने वाले कार्यकर्ताओं की कमाई का साधन बनने वाले जीत के बाद पालनहारों की पहली पसद बन जाते हैं। हो सकता है कि यह बात सब पालनहारों पर लागू ना हो लेकिन लोकतंत्र के नियमों के अनुसार भीड की तरह जीतने वाले अधिकांश इसी कहावत मे ंसच दिखाई देते हैं और उसका मुख्य कारण है कि करोडों रूपए पानी की तरह बहा कर चुनाव मैदान में उतरने वाले अधिकांश लोगों ने समाज सेवा की जगह राजनीति को ऐसा व्यापार बना दिया है जिसमें एक बार ठिकाने पर पहुंचने के साथ राजनेतिकों और उनके परिवार के वारे – न्यारे हो जाते हैं और तब उनको पूत कपूत तो क्या धन संचय और पूत सपूत तो क्या धन संचय की कहावत याद नहीं आती।