7:21 am Friday , 31 January 2025
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बहारों का ये जहान है, खामोश क्यूं रहूं – डॉ आलोक बेजान

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जन्मोत्सव समारोह समिति के तत्वाधान में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती के उपलक्ष में गांधी ग्राउंड में भव्य अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें बाहर से आए हुए प्रतिष्ठित कवियों ने काव्य पाठ किया । बुद्ध और अंबेडकर के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई । समिति के अध्यक्ष चिरंजी लाल ने बुद्ध एवं डॉ भीमराव अंबेडकर के चित्रों के समक्ष मोमबत्ती प्रज्वलित की। समस्त कवियों को अंग वस्त्र प्रतीक चिन्ह एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंजीनियर एच.डी भास्कर पार्टी प्रभारी उत्तरी भारत बी.एस. आई. थे।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता भगवान सिंह भ्रमर ने की।

बुलंदशहर से आए कवि डॉ आलोक बेजान ने काव्य पाठ किया-
“बहारों का ये जहान है, खामोश क्यूं रहूं !
सबूत मेरी जुबान है खामोश क्यूं रहूं !!
मेरी भी जिम्मेदारियां हैं देश की खातिर ,
उंगली पर ये निशान है खामोश क्यूं रहूं!!

सफ़र की जुस्तज़ू पाँवों में छाला छोड़ देती है !
सियासत रोज़ लिखकर पृष्ठ काला छोड़ देती है !!
उम्र बढ़ने से तो बेशक नज़रिया तेज़ होता है,
मगर बढ़ती उमर आँखों में जाला छोड़ देती है !!

भरतपुर से आए कवि भगवान सिंह भ्रमर ने काव्य पाठ किया-

भीम दलितों के दिनमान हो गए।
आन मान शान स्वाभिमान हो गए।
दलितों के जिंदे अरमान हो गए।
बाबा भीम विश्व में महान हो गए।

लखीमपुर खीरी से आए कवि पवन तारा ने काव्य पाठ किया –

बहुजन हुंकार भरो ,हक की पुकार भरो
जुल्म वाली पत्तियां सिमट जानी चाहिए

खुद को कठोर करो,शोर घनघोर करो
सब विरोधी नीतियां,निपट जानी चाहिए !!

कद को पहाड़ करो,सिंह सी दहाड़ भरो
कायरों की टोली पीछे हट जानी चाहिए

भीमराव जी के सपने को पूरा करने मे
गर्दनें कटें यदि तो कट जानी चाहिए !!

शाहजहांपुर से आए कवि ओम यादव ओम ने काव्य पाठ किया-

हाय जब दीन दुखियों की जिगर के पार होती है
आत्मा भीम बनकर तब कोई गुलजार होती है
हमें हर मोड़ पर संदेश देते हैं यही बाबा
प्रखर तलवार से ज्यादा कलम की धार होती है।।

हाथरस से आई कवयित्री सुनीता बौद्ध ने काव्य पाठ किया-

भीम दुनियां की वो हस्ती ज़माना गर्व करता है।
बदौलत भीम के बहुजन उड़ानें नभ में भरता है।
कभी मयस्सर नहीं हमको साफ पानी भी पीने को,
घमंडी ताल भी अब तो सलामी झुक झुक करता है।

राजस्थान के भरतपुर से आई कवयित्री ह्रदेश जाटव ने काव्य पाठ किया-

“होते रहे प्रताड़ित सदियों से बहुजनों तुम
हो जाओ संगठित अब वक्त आ गया है।।

“भीम दलितों के अरमान हो गए! आन बान शान स्वाभिमान हो गए शोषितो के जिंदे अरमान हो गए बाबा भीम विश्व में महान हो गए!!

खुर्जा से आई कवयित्री सुमन बहार ने कहा-
ये ऐसा बोझ है कि उठाता नहीं कोई
मजबूर को गले से लगाता नहीं कोई
फिरते हैं लोग जंग का परचम लिए हुए
मजबूर को गले से लगाता नहीं कोई
दीवार नफरतों की गिराता नहीं कोई!!

अलीगढ़ से आए कवि धर्मेंद्र विद्रोही ने काव्य पाठ किया-

हमको शिक्षा की लौ को फिर से जलाना होगा
अपना इतिहास उनको फिर से बताना होगा
हम ही शासक थे कभी इस जमाने के लोगों
अपने बच्चों में यही भाव जगाना होगा!!

सिकंदराराऊ से आए कभी शिवम आजाद ने काव्य पाठ किया-

देश के हित में वे एक बड़ा नाम थे ।
उनसे भी कुछ बड़े उनके हर काम थे ।
कोई माने न माने मगर सच है ये;
बाबा साहब मोहब्बत का पैग़ाम थे ।।

कार्यक्रम का संचालन कवि डॉक्टर आलोक बेजान ने किया

इस मौके पर पवन गौतम मीडिया प्रभारी, अध्यक्ष चिरंजीलाल , राधेश्याम बौद्ध, महिपाल टंडन ब्रह्मानंद बौद्ध हरिशं दिनकर अमित भास्कर नरेश पाल सिंह अनिल सागर राजीव कुमार छोटेलाल बौद्ध नीटू सिंह मोनू सागर राजकुमार बीपी सिंह भारत सिंह जाटव रक्षपाल निमेष अवधेश गौतम प्रतिपाल सिंह गुरदयाल भारती विजय कुमार वाल्मीकि आर पी त्यागी हेमेंद्र गौतम सोहन पाल रामपाल सिंह ऋषिपाल सिंह मुन्नालाल संत राजा बाबू बी एन गौतम सदावती बौद्ध सविता अंबेडकर पुष्पा गौतम सुधा बौद्ध मधुबाला प्रीति सागर दौलत राम साहब सिंह जे पी सागर ओमकार सिंह चरन सिंह मोहर सिंह शक्य अरविन्द वाल्मिकी नीरज दिवाकर सुनील दिवाकर दिनेश माथुर प्रेम शंकर वदन सिंह जय पाल सिंह आदि लोग हजारों की संख्या में उपस्थित थे।