वासंतिक नवरात्र पंचम दिवस माता स्कंदमाता
*पंचम स्कंदमाता*
विक्रम संवत 2081 पंचम दिवस शनिवार आज का दिन मां स्कंदमाता के लिए समर्पित होता है भगवान स्कंद कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण दुर्गे जी के स्वरूप को स्कंदमाता का नाम प्राप्त हुआ भगवान स्कंद जी बाल रूप में मां की गोदी में बैठे हुए हैं मातृ स्वरूप देवी की चार भुजाएं हैं यह दायिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को होती है उसमें कमल पकड़ा हुआ है मां का वर्णन पूर्णता शुभ है कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्या वाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है इनका वाहन भी सिंह है स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है आज के दिन एकाकार भाव से मन को पवित्र करके मां की स्तुति करने से दुखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है एवं कुंडलिनी जागृत होती हैं/
आज माता को प्रसाद रूप में अलसी चढ़ाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए/
*आराधना समय*
13 तारीख की दोपहर 12:06 तक मां के स्वरूप की ध्यान जाप एवं आराधना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा/
*आराधना मंत्र*
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंद रूपेण संस्थात/
नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः/
*बीज मंत्र*
ॐ दुर्गे देवि नमःl
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
9058810022