*वासंतिक नवरात्र द्वितीय दिवस माता ब्रह्मचारिणी*
*विक्रम संवत 2081 द्वितीय दिवस बुधवार आदिशक्ति माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है l माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय की प्राप्ति होती है मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली है ,माता की भक्ति से व्यक्ति के अंदर तप की शक्ति त्याग सदाचार संयम और बैराग जैसे गुणों में वृद्धि होती है l*
*माता ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र*
*ब्रह्मचारिणी हिम् श्री अंबिकाऐ नमः*
*मां का स्वरूप*
*मां के स्वरूप के वर्णन की बात कहें तो यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप उस देवी का है जिसने भगवान शिव को अपने पति से रूप में पाने के लिए कठोर तप किया है जिस कारण से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा मां ब्रह्मचारिणी सरल स्वभाव की हैं इनके दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है l*
*मां की कथा*
*इनकी कथा के रूप में मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया नारद जी की सलाह पर इन्होंने कठिन तप किया ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें कठोर तप के कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा आराधना के दौरान इन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल फूल खाए और 100 बरस तक शाक खाकर जीवित रही कठोर तप से इनका शरीर अत्यंत क्षीण हो गया उनका तप देखकर सभी देवता ऋषि मुनि अत्यंत प्रभावित हुए और उनको मनोकामना पूर्ण होने का वचन दिया l*
*माता का स्तुति मंत्र*
*या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः l*
*माता ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र*
*ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः l*
*राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य*
*9058810022*