कलश स्थापित कर भक्तों ने मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना
बिल्सी। आज मंगलवार से शुरु हुए चैत्रीय नवरात्रि के पहले दिन माता रानी के भक्तों ने अपने-अपने घरों में कलश स्थापित कर मां शैलपुत्री का पूजा-अर्चना की। बताते है कि माता शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं जो नंदी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल विराजमान है। मां शैलपुत्री को धूप, दीप, फल, फूल, माला, रोली, अक्षत चढ़ाकर पूजन किया जाता है। मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है इसलिए उनको पूजन में सफेद फूल और मिठाई अर्पित की जाती है। इसके बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप कर पूजन का अंत मां शैलपुत्री की आरती की जाती है। मां शैलपुत्री के पूजन में मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के धैर्य और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं, इसलिए इनके पूजन और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। श्रद्धा भाव से पूजन करने वाले को मां शैलपुत्री सुख और सौभाग्य प्रदान करती हैं। नगर के हनुमानगढ़ी देवी मंदिर में आज भक्तों की काफी भीड़ रही। सभी ने मां शैलपुत्री के साथ ही अन्य देवियों का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। इसके अलावा नगर के नव दुर्गा देवी मंदिर, शिव शक्ति भवन, कुटीर मंदिर, देववाणी मंदिर, चांमुडा देवी मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी माता रानी का जलाभिषेक किया।