बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
राजनीति भी क्या गजब की चीज है जो लोग पांच साल तक सीधे मुंह बात नहीं करते, आखों पर काला चश्मा और गाडी के शीशे बंद करके अनदेखा करते हैं वहीं चुनाव आने पर हमारे सुख और दुख में साथ देने का वचन लेते हैं। ऐसा नहीं है कि सब एक से हो लेकिन यह भी सही है कि वर्तमान में यहीं हालत है। आज बदायूं वालों को इस बात का गर्व होना चाहिए कि उनके सेवक बनने का दावा करने वाले कितनी शान औ शौकत से अपने क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और उसका प्रोग्राम पूर्व से हमें और आपको बता रहे हैं। बस हमारे लिए यही गर्व की बात है बाकी तो समय निकलने के बाद हमारी तरफ देखेगें या मुंह फेर लेगें इसका जवाब तो चुनाव के बाद सामने आएगा। फिलहाल कुछ दिन मतदाताओं के हैं और मतदाता की मजबूरी यह है कि उसको थोपे जाने वाले उम्मीदवारों में से अपना पालनहार चुनने के लिए मतदान करना है।