कथा के अंतिम दिन सुनाया कंस वध और कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव वनबेहटा के शिव मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा के सातवें दिन कथावाचक यतेंद्र ठाकुर जी महाराज ने कंस वध और रुकमणी विवाह के प्रसंग को सुनाया। उन्होने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। अंत में कंस का वध किया गया। तब लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्ति मिली। इसके बाद कथावाचक ने रुकमणी और श्रीकृष्ण विवाह का प्रसंग सुनाया। इस मौके पर अजय पाल सोलंकी, राजीव सिंह, लल्ला फौजी, विजय कश्यव, अरुण सिंह, हप्पू सिंह, यादराम शाक्य, राजवीर सिंह, नितेश आदि मौजूद रहे।