अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2024
नारी-उज्जागरण हेतु पूर्णतया समर्पित
अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन(AIP C)खुर्जा
नामक वैश्विक संस्था के *बदायूंँ-अध्याय ,बदायूंँ
के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश प्रभारी डॉ. कमला माहेश्वरी ‘कमल’ के चन्द्रशील नगर बदायूँ , स्थित आवासीय स्थल पर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में दिवस की पूर्व सान्ध्य- बेला में दिनांक 7 मार्च 2024 को हर्षोल्लास से मनाया गया ।
निर्धारित विषय आज की शाम,नारी – शक्ति के नाम
‘
विषय का प्रतिपादन गद्य और पद्य दोनों रूप से स्वतन्त्र था।
कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती शैफाली जी और एआईपीसियन गहना माहेश्वरी द्वारा किये गये ज्ञानदा माँ सरस्वती के दीप- प्रज्वलन एवं डॉ.कमला माहेश्वरी के श्लोक- वन्दन और संस्था के परिचय के साथ हुआ ।
कमला माहेश्वरी ने अपनी काव्य में प्रस्तुति देते हुए कहा कि आज की नारी कमजोर नहीं है, वह पूर्ण विदुषी और संस्कारी है।आज हर क्षेत्र में उसका सम्मान है। ये कहते हुए उन्होंने अपनी कविता प्रस्तुत की। वे कहती हैं –
कोमल है कमजोर नहीं तू ,शक्तिपुंज आधार है।
सृष्टि रचयिता पयस्विनी तू,पूज्यवरा साकार है ।
गुणवन्ती विदुषी महती तू कला निपुण संस्कार भी।
चल अनवरत भरत वंशिन तू,गर्वित कर किरदार है।।
सुश्री सुनीता मिश्रा जी ने अपनी नारी व्यथा रखते हुए कहा-
*डूब जाए समंदर भी उदासी इतनी गहरी है।
मरुस्थल फिर भी आँखों में,तेरी हमको नजर आए।।
छवि माहेश्वरी ने समय की मांँग के अनुसार कहा कि –
बेटी को हमें पढ़ाना है ।
अब आगे उसे बढ़ाना है ।
बेटी पढ़ती दो कुल पढ़ते ,
दो कुल का मान बढ़ाना है ।।
मीना जी ने चाय विषयक अपनी काव्य प्रस्तुति के माध्यम से तत्सम्बधित पीड़ा का गान गाया
।
ब्यूटीशियन शैफाली गुप्ता जी ने स्वयं को बहनें कैसे ऊर्जस्वित,स्वस्थ और सुन्दर रख कर आगे बढ़ सकती हैं के टिप्स दिये ।
अंजना जी ने अपने विचारों के माध्यम से नारी की आचरण शुचिता पर बल दिया ।
एआईपीसीयन प्रमिला गुप्ता ने कहा कि नारी कभी भी आगे बढ़ सकती है उसमें इतना साहस होता है कि वह अपने परिवार के साथ अपनी नौकरी या अपना व्यापार भी संभाल लेती है ।
श्रीमती भारती गुप्ता ने कहा कि हमें अपने संस्कृति का भी ज्ञान होना चाहिए इसलिए बच्चों में प्रारंभ से ही ईश्वर आराधना और संस्कार भी देना जरूरी है ।
राधा जी ने कहा कि एक नारी घर की धुरी होती है उसे सबकी पसंद का ज्ञान रहता है,परन्तु परिवार को उसकी पसन्द का ज्ञान नहीं होता ।
इसके अतिरिक्त श्रीमती बबीता, खुशबू ,दिशा. दीक्षा, गौरी आदि ने भी नारी पीड़ा और उसके बढ़ते वजूद पर भी अपने विचार रखे।कार्यक्रम का पूर्ण संयोजन एआईपीसीयन गहना माहेश्वरी तथा कुशल प्रबन्धन छवि माहेश्वरी व सहयोगी जन ने किया ।
बाद में डॉ कमला माहेश्वरी कमल ने संस्था का परिचय तथा उसकी महत्ता बताई ।उन्होंने बताया कि इस रजिस्टर्ड संस्था 987 की स्थापना प्रोफेसर डॉ. लारी आजाद जी के द्वारा 30 अप्रैल 2000 नई सदी को की गई थी ।जिसमें उनका साथ प्रशंसित साहित्यकारसमाज-सुधारक ,सदी की बड़ी कवयित्री अमृता प्रीतम जी, फिल्म गीतकार माया गोविंद पद्मश्री, पद्मा सचदेव, प्रभजोत कौर और ज्ञानपीठ अवार्डी इंदिरा गोस्वामी जी, फिल्म गीतकार माया गोविंद पद्मश्री आदि के साथ मिलकर की गई थी जिसमें कई राज्यपाल मुख्यमंत्री ,केंद्रीय और राज्य मंत्री ,कला और संस्कृति के अन्य प्रशासनिक क्षेत्रों की हस्तियांँ भी सम्मिलित हुई थीं ।
इस संस्था का उद्देश्य कवयित्रियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करना, महिलाओं की सामाजिक-सांस्कृतिक जागृति और उत्थान, लिखित साहित्य को बढ़ावा, नारीवादी आत्मीयता का विकास, कवयित्रियों की समस्याओं के निराकरण हेतु प्रयास , भाषाई सद्भाव, साहित्य प्रकाशन, जरूरतमन्द अनाथ विधवा या अकेली वृद्ध महिलाओं की मदद, नारी सशक्तिकरण और समानता, महिला साहित्य प्रकाशन तथा भारत और विश्व पर्यटन की खोज आदि रही है। इस तरह यह संस्था ज्वलंत प्रश्नों के साथ अपने दाय पूर्ण निष्ठा से निभा रही है ।
तीन देशों के राष्ट्रीय अध्यक्ष इसके सदस्य हैं अभी जल्दी में ही पंजाब में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ है जिसमें हमारे बदायूँ की प्रतिनिधि सुश्री सुनीता मिश्रा और श्री मती प्रमिला गुप्ता जी सम्मानित हुईं थीं । भूटान और यूनान में अगला कार्यक्रम कार्यक्रम वांछित है ।