*,***— उझानी बदायूं 8 मार्च 2024। 28 फरवरी को नगर के भाजपा नेता आलोक अग्रवाल सर्राफ से 26700 रुपया की साईबर ठगी करने वाले युवक को दो मोबाइल, कुछ नकदी के साथ पुलिस ने जबलपुर मध्यप्रदेश से दबौच लिया है। आज बदायूं एसएसपी आलोक प्रियदर्शी ने साईबर ठगी करने वाले युवक को मीडिया के सामने पेश कर प्रेस ब्रीफिंग कर इसकी जानकारी दी। बताते चलें कि 28 फरवरी को एक महिला की आवाज में अपने को ग्वालियर की एसीपी बताने वाले ने आलोक अग्रवाल से 26700 रूपए अपने बताऐ खाते में ट्रांसफर करा कर ठगी कर ली थी। सर्राफ ने रूपए ट्रांसफर कराने में एसएसआई की महत्वपूर्ण भूमिका बताई थी। कोतवाली पुलिस पर सर्राफ से अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने के आरोप में अगले दिन सर्राफा एसोसिएशन ने धरना प्रदर्शन भी किया। अगले दिन अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। कोतवाली पुलिस पर धटना का पर्दाफाश करने का दबाव था। पुलिस की दो टीमें 1 मार्च से ही सर्विलांस टीम व साइबर क्राईम एक्सपर्ट के साथ ही जबलपुर मध्यप्रदेश में जाल बिछाऐ हुई थी। आज प्रेस ब्रीफिंग कर एसएसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि जबलपुर मध्यप्रदेश के थाना पाटन के सरकारी अस्पताल के पास रहने वाले संकेत यादव 20 बर्ष पुत्र उमाशंकर यादव को काफी खोजबीन के बाद प्रभारी निरीक्षक सर्विलांस टीम नीरज कुमार, उपनिरीक्षक धर्बेंन कुमार,संजय सिंह व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली मनोज कुमार सिंह, सब इंस्पेक्टर बलवीर सिंह, मनोज कुमार, हेड कांस्टेबल बलराम, मुकुल गिरि, यतेन्द्र कुमार,ममता कुमारी ने सर्विलांस की मदद से धर दबौचा। एसएसपी ने बताया कि संकेत ही एएसपी ग्वालियर आराध्या चौहान बनकर फोन करता था। उसी ने प्रदीप गोयल सर्राफ के मोबाइल पर कॉल कर उन्हें अपने जाल में फंसाने की कोशिश की थी। आलोक अग्रवाल से भी ठगी की ओर 26700 रुपए अपने फुफेरे भाई हरियाणा निवासी राहुल यादव के खाते में ट्रांसफर कराऐ। एसएसपी ने बताया कि आलोक अग्रवाल के रुपयों को बैंक से होल्ड पर रखा है। इसके पास से दो मोबाइल व 800 रुपए की नकदी बरामद हुई हैं। जबलपुर से इसका आपराधिक रिकॉर्ड मंगाया जा रहा है। साइबर क्राइम की अन्य घटनाओं में भी संकेत लिप्त रहा है। एसएसपी ने साइबर ठग को पकड़ने वाली टीम की तारीफ की। संकेत को साइबर क्राइम की धाराओं में चालान कर जैल भेज दिया। ********** एसएसआई पर लगा था रूपए ट्रांसफर कराने का आरोप, वही केस के वर्कआउट में शामिल। जबकि वह तो जबलपुर में टीम के साथ तीन दिन बाद खाली हाथ लौटकर आ गये थे। क्योंकि उस समय वह किसी साइबर क्राइम एक्सपर्ट व सर्विलांस टीम के सदस्य के बगैर गये थे। जिससे उन्हें अपराधी के नजदीक पहुंच कर भी कामयाबी ना मिली। फिर इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह ने एसएसपी आलोक प्रियदर्शी की सलाह पर सर्विलांस टीम व एसओजी टीम के साथ उपनिरीक्षक बलवीर सिंह को भेजा ओर कामयाबी के साथ टीम अपराधी को पकड़ने में कामयाब रही।*****
राजेश वार्ष्णेय एमके