…मलायक देख कर हैरान हैं सजदा मोहम्मद का।
बदायूं। बाबा फरीद के पोते कुतबे बदायूं मुफ्ती शाह मोहम्मद इब्राहिम फरीदी के सालाना उर्स ए फरीदी के मौके पर कमंग्रान स्थित खानकाहे फरीदिया में साहिबे सज्जादा खानकाह आबादानिया, फरीदिया बदायूं शरीफ, हज़रत मोहम्मद अनवर अली फरीदी (सुहैल फरीदी) साहब की सदारत में आयोजित तरही मुशायरे में जनपद व गैर जनपद के शोअरा हज़रात द्वारा नात ओ मनकबत पेश की गई।
सज्जादा हज़रत मोहम्मद अनवर अली सुहैल फरीदी ने फरमाया-
फरीद उद्दीन की खुशबू दरे मुफ्ती से आती है,
फजीलत है बहुत लोगों यहां पर आने जाने की।
उस्ताद शायर डॉ मुजाहिद नाज़ बदायूंनी ने कहा-
वो ज़िंदा हैं, वो ज़िंदा हैं, वो ज़िंदा हैं, वो ज़िंदा हैं,
करेगा हश्र तक ऐलान यह कलमा मोहम्मद का।
अहमद अमजदी ने पढ़ा-
ये है अजमत मोहम्मद की ये है रुतबा मोहम्मद का,
खुदा ने जग में हमसर तक नहीं भेजा मोहम्मद का।
शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने कहा-
हुसैन इब्ने अली बैठे हुए हैं पुश्ते नाना पर,
मलायक देख कर हैरान हैं सजदा मोहम्मद का।
मीरानपुर कटरा के मु०सलीम खां सलीम ने पढ़ा-
किसी को टाल देना कब रहा शेवा मोहम्मद का, तही दामन कहां लौटा कोई मंगता मोहम्मद का।
ई० वारिस रफी ने कहा-
समेटे एहतरामन बाल ओ पर अपने परिंदों ने,
जो देखा उड़ते उड़ते गुंबदे खजरा मोहम्मद का।
अनवर खां ने पढ़ा-
क्यूं तुम सोचते हो फतह खैर के बारे में,
अली लेकर चले थे हाथ में झंडा मोहम्मद का।
अब्दुल जलील फरीदी ने पढ़ा-
बहा न खून का कतरा फतह मक्का हुआ बेशक,
फकत दुनिया में इक किरदार है ऐसा मोहम्मद का।
मसूद फरीदी ने पढ़ा-
नफ्सी-नफ्सी में होंगे सभी महशर के मैदान में,
खुदा दिखलाएगा उस दिन जलवा मोहम्मद का।
इनके अलावा सगीर सैफी,हाफिज मुकर्रम, शरीफ कटरवी, मु० उस्मान आबिद जलालपुरी, अरशद रज़ा फरीदपुरी आदि ने भी अपने कलाम पेश किए।
आखिर में सलातो सलाम के बाद मुल्क व कौम की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ की गई। सभी को तबर्रुक तकसीम किया गया।