***** उझानी बदायूं 29 फरवरी 2024। कल नगर के बहुचर्चित सर्राफा व्यवसाई आलोक अग्रवाल से साइबर ठगी के मामले में अगर शासन जिले के आला अधिकारियों के मोबाइल व सीयूजी नंबर की सर्विलांस टीम से निष्पक्ष जांच करा दे। तो कई पुलिस के अधिकारियों की गर्दनें फंसती नजर आएंगी। कल नगर के व्यापारी आलोक अग्रवाल से ग्वालियर की एएसपी बताकर एक महिला ठग ने 26700 रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। जिसका दोष एसएसआई पर आया। आलोक अग्रवाल का कहना है कि जब दरोगा जी ने अपने मोबाइल नंबर से उस कथित महिला अधिकारी से बात कर ली।तो उन्ही के कहने पर रुपए ट्रांसफर किए। जबकि एसएसआई का कहना है कि जिले के एक आला अधिकारी के कहने पर वह व्यापारी को प्रतिष्ठान से उठा कर लाऐ। प्रश्न उठता है कि जब उपर के अधिकारी का फोन एसएसआई पर आया कि मामले को किसी तरह निबटाओ।तो एसएसआई की क्या हिम्मत जो अधिकारी को दुबारा फोन करे। जानकारों की मानें तो उस कथित एएसपी ठग ने व्यापारी पर अपनी बेइज्जती का आरोप लगाते हुए जिले के कई अधिकारियों पर आलोक अग्रवाल को गिरफ्तार करने का दबाव वनाया। मगर किसी भी अधिकारी ने उस महिला ठग की जानकारी करने की जहमत नहीं की। ओर उक्त महिला की आवाज को व उसे तेजतर्रार अधिकारी मानते हुए अपने अधीनस्थों को मामला रफा-दफा करने की कहते रहे। उसी का परिणाम है कि आलोक अग्रवाल को दुकान से बेइज्जत कर पकड कर लाने वाले पुलिसकर्मी ही दोषी हो गये। दूध ओर पानी जानने को मुख्यमंत्री द्वारा कल ही लोकार्पण किये साइबर क्राइम थाने में सभी के मोबाइल नंबर व सीयूजी नंबर को सर्विलांस के जरिए निष्पक्ष जांच करा देनी चाहिए। तब ही मालूम पड़ेगा कि दोषी कौन कौन है। राजेश वार्ष्णेय एमके