बदायूं की राजनीति में उपर से उम्मीदवार थोपने की ऐसी परम्परा बन गई है जो लोगों के सिर चढ कर बोलती है जो बाहर से आता है चुनाव में जीत जाता है और फिर पतली गली से बदायूं से दूरी बना लेता है। कांग्रेस ने इलाहबाद से लाकर सलीम इकबाल शेरवानी को हीरो बनाया जिनकों बाद में सपा ने ऐसा गले लगाया जो आज सपा के गले की हडडी जैसे चुभते दिखाई दे रहे हैं। बाहर से धर्मेंद्र आए तो जीत गए और जनपद के बने तो पराजित हो गए, ऐसा क्या हुआ मतदाता ही बता सकते है। भाजपा ने स्वामी चिन्मयानन्द, शरद यादव, डीके भारद्वाज और डा संघमित्रा मौर्य को बाहर से लाकर मतदाताओं पर थोपने का काम किया परिणाम क्या हुआ सबके सामने है जो जिले का कागजों में विकास और धरातल पर सत्यानाश का द्रश्य बना दिख रहा है।