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मनुष्य के अंतर्करण को शुद्ध करती है भागवत कथा–ध्रुव जी महाराज

।****** उझानी बदायूं 21 फरवरी 2024। कछला में मोक्षदायिनी गंगा जी के किनारे श्री रामानुज कोट में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ध्रुव जी महाराज ने भागवत के महत्व का वर्णन करते हुए ज्ञान वैराग्य और भक्ति की वास्तविक स्थिति को समझाया । गंगाजी व्यक्ति के शरीर को पवित्र करती हैं ,परंतु भागवत के द्वारा व्यक्ति के अंतः करण का शोधन होता है गंगाजी का जल व्यक्ति के बाहरी जगत के पापों को धोते हैं। भागवत जी के माध्यम से व्यक्ति के आंतरिक पाप भी नष्ट होते हैं कलिकाल में भगवान की प्राप्ति के लिए भागवत से सुंदर और कोई साधन नहीं है। भागवत जी के द्वारा व्यक्ति को जीवन जीने की कला प्राप्त होती है ।एक भागवत ही हैं जो व्यक्ति के जीवन को भी सुंदर बनाती हैं मृत्यु को भी श्रेष्ठ बनाती हैं । भागवत कथा मृत्यु के उपरांत भी जीव के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं । संसार में किसी भी प्रकार के जीव का कल्याण भागवत जी के माध्यम से हो जाता है। धुंधकारी जैसे प्रेत को भी भागवत कथा सुनने से भगवान की कृपा से मुक्ति प्राप्त हुई। व्यक्ति के जीवन की श्रेष्ठता भगवान की आराधना में है कान वही श्रेष्ठ हैं कि भगवान की कथा को सुनते हैं नेत्र वही श्रेष्ठ हैं जो भगवान का और भगवान के भक्तों का दर्शन करते हैं। मन वही श्रेष्ठ मन है जो भगवान के चरणों का चिंतन करता हो संसार में भगवान की कृपा से जीव को जो भी प्राप्त होता है वह श्रेष्ठ होता है भगवान आनंद के सिंधु हैं जैसे ही जी भगवान से जुड़ता है वह भी आनंद मगन हो जाता है सुखी हो जाता है भगवान की शरणागति करने के पश्चात भगवान से जुड़ने के पश्चात जीवन में दुख रह ही नहीं सकता। भगवान यदि जीव पर क्रोध भी करते हैं तो भी जीव का कल्याण ही करते हैं सहज भाव से भगवान का चिंतन करना कपट का त्याग करते हुए छल का त्याग करते हुए जो निर्मल मन से भगवान की शरणागति करता है भगवान उसका सब प्रकार से कल्याण करते हैं। कथा के आयोजक श्री बृज मोहनाचार्य जी ब्रह्मचारी ।- आरके शर्मा कछला।