*भागवत प्रत्यक्ष भगवान् का स्वरूप — आचार्य ध्रुव जी महाराज।
उझानी बदायूं 18 फरवरी 2024। कछला गंगा घाट पर श्री रामानुज कोट में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में आचार्य ध्रुव जी महाराज ने भागवत के अद्भुत रहस्य का वर्णन किया उन्होंने कहा कि भागवत प्रत्यक्ष भगवान का स्वरूप है । भागवत को सुनने वाला और भागवत को सुनाने वाला यह दोनों ही भगवान की कृपा के पात्र होते हैं भागवत जी का उपदेश ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद को जब दिया तो नारद जी को यह आदेश भी दिया कि जिस प्रकार प्राणियों के हृदय में भगवान के चरणों की भक्ति बढ़ें उसी प्रकार भागवत की कथा का वर्णन करना चाहिए। नारद जी ने भागवत का उपदेश महर्षि वेदव्यास को दिया और महर्षि वेदव्यास ने भागवत को विस्तृत करके अपने निवृत्ति पारायण पुत्र सुखदेव को प्रदान किया सुखदेव जी महाराज ने भागवत का उपदेश परीक्षित को देकर उन्हें संसार से मुक्त किया। भगवान की कृपा से भी बड़ी कृपा संतों की कृपा होती है जिसके ऊपर संतों की कृपा होती हैं उसके ऊपर भगवान की कृपा होना सुनिश्चित है । आचार्य ध्रुव जी ने कहा कि देवर्षि नारद की कृपा से संसार में अनंत जीवो को भगवान की प्राप्ति हुई । इस संसार में ऐसा कोई भी नहीं जिसको देवर्षि नारद का दर्शन हुआ हो और भगवान की प्राप्ति ना हुई हो देवर्षि नारद को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया कि तुम किसी भी स्थान पर ज्यादा देर ठहर ना सकोगे। जब कोई व्यक्ति किसी महापुरुष का अपमान करता है तो वह कालांतर में समूल नष्ट हो जाता है दुर्योधन ने विदुर जी का अपमान किया था विदुर जी भगवान के बड़े अनन्य भक्त थे। और साक्षात यमराज भी है परंतु बुद्धिमान वही है जो शक्ति और संपत्ति दोनों का दुरुपयोग ना करें कथा के आयोजक वृजमोहनाचार्य ब्रह्मचारी के तत्वावधान में 20 तारीख से लक्ष्मीनारायण यज्ञ भी आयोजित किया जाएगा।
आर. के . शर्मा कछला।