भगवान राम के नामकरण की कथा सुनकर भावविभोर हुए भक्त
बिल्सी के रिसौली में रामकथा का पांचवा दिन
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रिसौली में मोहन पट्टी में चल रही रामकथा के पांचवे दिन सामाजिक संत रवि समदर्शी महाराज ने राम जन्म के बाद की कथा सुनाते हुए भक्तों को भावविभोर कर दिया। उन्होने राजा दशरथ के चारों पुत्रों के नामकरण की कथा सुनाते हुए कहा कि जो आनंद के महासागर है जिनका नाम लेकर भक्त सुख प्राप्त करेंगे राजन ऐसे आपके सबसे बड़े पुत्र का नाम-राम रखता हूं जो सुख के धाम है। आपके दूसरे पुत्र का नाम जो सारे जगत को तृप्त करेगा सारे संसार का भरन पोषण करते हैं त्याग के प्रतीक ऐसे दूसरे बड़े पुत्र का नाम भरत रखता हूं और राजन आपके सबसे छोटे पुत्र का नाम लेने मात्र से अंदर के राक्षसों का नाश होगा और बाहरी राक्षस का वह खुद नाश करते हैं अतः मैं आपकी सबसे छोटे पुत्र का नाम शत्रुघ्न रखता हूं। आपकी सबसे छोटी रानी के बडे बेटा अति विशिष्ट होगा जिसके गुण लक्षण ही नाम रूप में दिखेगे जो सारे जगत का आधार है ऐसे इस पुत्र का नाम लक्ष्मण रखता हूं चारों बालकों का नामकरण हुआ। माताओं की गोद में चारों बालक धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की तरह नर रूप में सुशोभित हो रहे हैं। भगवान के दर्शन करने के लिए जब तक संत ऋषि भक्त महल के दरवाजे पर आ जाते हैं। भिक्षा मांगने आते हैं और कहते हैं भिक्षा नहीं चाहिए मुझे भिक्षा में बदले आपके लाला के दर्शन चाहिए। महल के अंदर झाक कर रोते हैं कहते हैं काश हमें भगवान ने इस महल के पत्थर ही बना दिया होता ताकि हम लाला के हाथों के पैरों के स्पर्श का सुख भोग सकते। हम दुर्भाग्यशाली है, मां दर्शन करा देती है तो प्रसन्न होकर जाते हैं। इसके बाद सभी वशिष्ठ जी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते हैं। विश्वामित्र के साथ जाकर राछसों को मारकर यज्ञ पूरा करते हैं,अहिल्या उद्धार कर धनुष यज्ञ के लिए जनकपुरी में प्रवेश करते हैं। इस मौके पर धर्मेन्द्र सक्सेना, राजेश पाली, धर्मेंद्र माहेश्वरी, दिनेश पाली, रिंकू चौहान, राजू चौहान, दुष्यंत सोलंकी, राजेंद्र शर्मा, राजेश सिंह, अतुल सोलंकी, सुनील सोलंकी, सुनील सिंह, राजीव राणा, नितिन शर्मा, संजीव सिंह, उत्पल, दीपेश, विजय शंखधार आदि मौजूद रहे।