।*****- उझानी बदायूं 17 फरवरी 2024।
पावन धाम अयोध्या में राम लला में प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में मोहन पट्टी रिसौली में पवित्र पुरुषोत्तम माघ मास में नौ दिन तक चलने वाले श्री राम कथा महोत्सव में*
आज पांचवे दिन सामाजिक संत रवि जी समदर्शी महाराज ने राम जन्म के बाद अहिल्या उद्धार की मार्मिक कथा सुनाई। कथा सुनाते हुए भक्तों को भावविभोर कर दिया
भगवान शंकर पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं देवी मैंने एक चोरी की जैसे ही पार्वती ने सुना चौक गई । बाबा आपने और चोरी हां देवी हमने तुमसे कुछ छुपाया है मुझसे छुपाया भला कोई अपनी पत्नी से छुपाता है । बड़े आनंद की बात है,हम और का काग भुसुंडी दोनों मनुष्य रूप में अयोध्या गए पता है क्यों गए इसलिए गए कि हमारे गुरु हमारे प्रभु का जन्म हुआ है अयोध्या में और हम दोनों गुरु चेला मानुष्य बन कर गये। सरयू किनारे आ गए। कई दिन बीत गए सब प्रयास किए पर दर्शन नहीं हुए तब हमने अंतर्मन से भगवान से कहा प्रभु अगर आपने हमें दर्शन नहीं दिए तो हम इसी सरयू में अपने शरीर को प्रवाहित कर देंगे ।तब भगवान ने लीला रची खूब रोए, गुरु वशिष्ट जी भी आए कोई चुप नही करा पाया तब मां कौशल्या ने अपनी दासियों को सरयू किनारे भेजा ताकि कोई बालक को ठीक करने वाला ज्योतिषी सन्यासी जत्ती मिल जाए,दासियों ने हमसे पूछा बाबा आप कुछ जानते हो, हमने कहा हमारा तो यही काम है,हम तो उनके साथ दौड़े चले गए महल में हमें भी बुला ले गई और हम दोनों गुरु चेला ने उन के दर्शन की धन्य धन्य हो गए भगवान के चरणों में माथा रखकर आनंद आ गया जी। देवी
ऐसा भगवान और भक्तों के प्रेमा अतीत भाव को देखकर सुनकर भक्त बहुत लाभान्वित होंगे काग भूषुण्डी जी वही रह गए,
गोस्वामी जी कथा को आगे बढ़ाते, चारो बालकों का नामकरण करते हुए कहते हैं जो आनंद के महासागर है जिनका नाम लेकर भक्त सुख प्राप्त करेंगे । चारों बालकों का नामकरण हुआ ।
भगवान ने जन्म से और बैकुंठ जाने तक तक अंहकारियों का अहंकार मिटाया,लेकिन दबे कुचले गरीब निर्बल सभी का छोटापन ,मिटाकर उन्हें ऊंचा उठाया ह्रदय से लगाया प्रेम लुटाया पर क्योंकि भगवान प्रेम के भूखे हैं, वशिष्ठ जी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते हैं,विस्वामित्र के साथ जाकर राछसों को मारकर यज्ञ पूरा करते हैं,अहिल्या उद्धार कर धनुष यज्ञ के लिए जनकपुरी में प्रवेश करते हैं। राजेश वार्ष्णेय एमके