1:24 pm Friday , 31 January 2025
BREAKING NEWS

जिस आभूषण के पहनने से क्लेश हो , उसे पहनने से क्या लाभ– रवि जी

।*अयोध्या में राम मंदिर में मेरे राम जी के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में मोहन पट्टी रिसौली में नौ दिवसीय कथा के तीसरे दिन बोलते हुए रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कि
भगवान शिव जी के गणों ने शंकर जी को सजाया
नागों से सजाया गया, चिता भस्म शरीर पर मली गई, मृग की छाल वस्त्र के रूप में पहनाई गई भोले बाबा कहते हैं जिस आभूषण से परिवार में कलेस हो विवाद हो ऐसे आभूषण में क्या,शरीर पर चिता की राख लगाते हैं
एक ना एक दिन राख में ही मिलना है, काल जब सामने रहता है तो व्यक्ति के जीवन में अवगुण नहीं रहते भगवान याद आते हैं,भगवान शंकर का हर कार्य कुछ ना कुछ शिक्षा प्रदान करता है,
पहले देवताओं के अपने-अपने साज बरात में चले सबसे अंत में भगवान शंकर बैल पर सवार होकर जोकि धर्म का प्रतीक है हिमाचल और मैना के दरवाजे पर पहुंचे आरती स्वयं फिसल कर गिर गई जिसके शीश पर शशि विराजमान हो आरती उसे छोटी हो जाती है इसलिए आरती ने शशि का सम्मान करते हुए स्वयं को बुझा दिया शंकर जी का विवाह हुआ विवाह में समस्त भूत पिशाच डाकिनी शाकिनी उपस्थित रहे सप्त ऋषि होने वेद मंत्रों के साथ शंकर जी का और पार्वती जी का विवाह कराया सब प्रसन्न है देवता फूल बरसा रहे हैं सब आशीर्वाद देते हैं शुभकामनाएं देते हैं पार्वती जी को और सजल नेत्रों से हर घर की बेटी है ऐसा स्वरूप दिखता है विदा करते हैं कुछ समय पश्चात उनके बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम कार्तिकेय था कार्तिकेय ने युद्ध में तारकासुर का वध किया,
गोस्वामी जी कहते हैं
शिव द्रोही मम दास कहावा l
सो नर मोहि सपनेउ नहीं भावा ll
मेरे रामजी कहते हैं जो शंकर भगवान से प्रेम नहीं करता है वह मनुष्य मुझे स्वप्न में भी पसंद नहीं है आता,शिवजी की आराधना पूजा व्रत अनुष्ठान जरूरी है,
भगवान के जन्म के कर्म पर विशेष चर्चा की उन्होंने कहा भगवान सरकार भी है निराकार भी है भगवान भोलेनाथ शंकर जी पार्वती जी को कथा सुनते हुए कहते हैं कि सारे संसार के हित के लिए कथा है यह कलयुग में काली कल को काटने की कोठारी है राम जन्म के बहुत से कारण थे जिम एक कारण भगवान के द्वारपाल थे जय और विजय जो श्राप के कारण राक्षस बने भगवान ने उनके लिए चार जन्म लिए,
दूसरा करण कश्यप और अदिति की तपस्या और भगवान का उन्हें वरदान देना l आप अयोध्या में दशरथ और कौशल्या बनेंगे और हम आपके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे l। राजेश वार्ष्णेय एमके।