1:27 am Wednesday , 26 February 2025
BREAKING NEWS

प्रथम भगत संतन कर संगा दूसरी रति मम कथा प्रसंगा- रवि समदर्शी महाराज।

प्रथम भगत संतन कर संगा
दूसरी रति मम कथा प्रसंगा- रवि समदर्शी महाराज।* उझानी बदायूं 13 फरवरी। रिसोली के मोहन पट्टी में आयोजित राम कथा के प्रथम दिवस बोलते हुए रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कि
संतो के संग से मन निर्मल होता है मन निर्मल हो तभी मेरे राम जी के दर्शन हो सकते है l
बाल्मिक जी कहते हैं जिस घर में नियमित रामायण का पाठ होता है वह घर या स्थान तीर्थ स्थान हो जाता है वहां जाने वाले कोई भी हो, सबके पाप मिट जाते,
रामायण की महिमा बताते हुए वाल्मिक जी ने कहा शरीर में तक तक पाप रह सकते हैं जब तक रामायण कान के द्वारा श्री पहुंच गई पाई , और गोस्वामी की कहते रामायण कलयुग में कल्पवृक्ष है, यह चंद्र की किरणों की समान शीतलता प्रदान करती है यह समस्त समस्याओं का नाश करती है रामकथा जो गाते हैं,सुनते हैं,सुनाते हैं, वह कभी नरक में नहीं जाते
गोस्वामी जी ने राम चरित मानस मंगलवार के दिन अवधपुरी में ही जिस दिन मेरे राम जी का जन्म हुआ था उसी दिन इस रामायण को समाज को समर्पित, लोकार्पित की
यह कथा को याज्ञबल्कि जी भारद्वाज जी को और शंकर जी सती जी को काजू भूसुंडी जी पक्षियों के राजा जरुर को और गोस्वामी जी अपने मन को यही कथा सुनाते हुए कहते हैं,
भरद्वाज जी को याज्ञवल्की कथा सुनाते हुए कहते हैं
एक एक बार त्रेता युग में भगवान शंकर ऋषि कुंभज के पास राम कथा सुनने गए वहां कथा सती ने नहीं सुनी भगवान शंकर ने सुनी और ऋषिवर को भक्ति का वरदान दिया ।
सागर नदियों से कभी नहीं कहता फिर भी नदियां सागर की ओर दौड़ी चली आती है, चाणक्य बनो चंद्रगुप्त दौड़ा चला दो रामदास बनो शिवाजी चरण दबायेगा,कृष्ण बनो अर्जुन भागता चलाएगा माता सावित्री सी बनो यमराज जी प्रणाम करके चला जाएगा माताओं अनसुइया बनो भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश जी आपके बालक स्वरुप होंगे,
उसी समय भगवान राम अपनी लीला करने दंडक बन में सीता जी को खोजते हुए कामी पुरुष की भाति परेशान घूम रहे थे भगवान शंकर कथा सुन कर आकाश मार्ग से वापस आ रहे थे भगवान को देखा प्रणाम किया और कहा सती तुम भी प्रणाम करो लेकिन सती ने प्रणाम नहीं किया बार-बार कहने पर भी प्रणाम नहीं किया तब भगवान शंकर ने कहा तुम चाहो तो परीक्षा ले सकती हो यह मेरे इष्टदेव भगवान राम और सती परीक्षा लेने चली गई भगवान ने पहचान लिया और सती ने आकर वापस आकर शंकर जी से झूठ बोल दीया की मैंने कोई परीक्षा नहीं ली आपकी तरह प्रणाम किया भोले बाबा ने सब कुछ जान लिया और मन से सती का त्याग कर दिया
नौ दिन तक चलने वाली इस रामकथा में सतेन्द्र चौहान,विष्णु गुप्ता,विकास चौहान,राहुल आदि का सहयोग रहा। राजेश वार्ष्णेय एमके