2:11 pm Friday , 31 January 2025
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समाज में श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी होनी चाहिए मित्रता

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग में प्राथमिक स्कूल के निकट मैदान पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक शिशुपाल शास्त्री ने कृष्ण-सुदामा मित्रता की कथा को सुनाते हुए कहा कि एक दिन सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया-कन्हैया कह कर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। उन्होने कहा कि समाज में श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता होनी चाहिए। कथावाचक ने इस दौरान यहां अन्य प्रसंगों को भी सुनाया। इस मौके पर दरियाव सिंह, रवि शंकर, सुभाष चंद्र, सत्यपाल सिंह, विशाल सिंह, शंभू सिंह, अरुण कुमार, प्रेमपाल सिंह, नीरज कुमार, गुड्डू, रमन पाल, राकेश कुमार, मंयक बाबू आदि मौजूद रहे।