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दलितों, पिछड़ों सहित मेहनतकश समुदाय के संघर्षों के नायक थे पेरियार ललई सिंह यादव : चरन सिंह यादव

दलितों, पिछड़ों सहित मेहनतकश समुदाय के संघर्षों के नायक थे पेरियार ललई सिंह यादव : चरन सिंह यादव
आज दिनांक 7 फरवरी 2024 को निजामपुर में मास्टर कल्याण सिंह के नेतृत्व में पेरियार ललई सिंह का परिनिर्वाण दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनहित सत्याग्रह मोर्चा के अध्यक्ष प्रेमपाल सिंह पटेल ने कहा कि पेरियार ललई सिंह का परिवार एक सामान्य परिवार था। इनके पिता गज्जू सिंह एक आर्य समाजी थे। जो छुआछूत, अंधविश्वास, जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ थे। इन्होंने पुरातन पंथी रूढ़िवादी परंपराओं के खिलाफ संघर्ष किया। इनके संकगर्ष में इनकी माता जी का भी अहम योगदान रहा। इसी माहौल में पेरियार ललई सिंह का जन्म 1 सितंबर 1911 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के कथारा गांव में हुआ था।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के डा सतीश ने कहा कि ललाई सिंह यादव ने मिडिल शिक्षा पास की उसके बाद उन्हें फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी मिल गई। उसके बाद वे मध्य प्रदेश में पुलिस ने भर्ती हो गए। नौकरी के दौरान ही उन्होंने पुलिस व सेना के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक आर्मी संघ को स्थापना की जिसके वे अध्यक्ष बने। इन्होंने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कराई। संघर्ष के दौरान इन्हे बर्खास्त किया गया , बाद में बहल भी हुए। लेकिन हड़ताल के दौरान इन्हे वा इनके साथियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। इन्होंने जेल में भी संघर्ष जारी रखा। जेल में कैदियों का संगठन बनाकर जेल के अंदर कैदियों की दुर्दशा के खिलाफ संघर्ष किया। अंत में इन्हे जीत मिली। 1948 में इन्हे रिहा किए गया।
पूर्व प्रवक्ता राम प्रकाश जी ने कहा पेरियार ललाई सिंह ने तमाम धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। अंत में उन्होंने बुद्ध धर्म की दीक्षा ली। इसके बाद वे अंतिम समय तक बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार और जातिवाद, सांप्रदायिकता, अंधविश्वास , गैर बराबरी के खिलाफ संघर्ष करते रहे। इसके लिए उन्होंने साहित्य का सहारा भी लिया। उन्होंने कई किताबें लिखीं। पेरियार रामासमी नायकर की सच्ची रामायण का हिंदी अनुवाद इन्होंने किया इस किताब ने पूरे उत्तर और पश्चिम भारत में तहलका मचा दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लखनऊ से आई डा पुष्पा यादव ने कहा कि जिस तरह पेरियार ललाई सिंह ने नौकरी के दौरान और रिटायर होने के बाद भी मिशन के लिए कार्य किया। और जीवन पर्यंत शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया। आज जरूरत है इस संघर्ष को आगे बढ़ाने की। इसके हमे संवैधानिक व जनवादी अधिकारों को बचाना होगा। और लोगों के अंदर वैज्ञानिक , तर्कशील दृष्टिकोण पैदा करके मानवतावादी, समतावादी विचारों को आगे बढ़ाना होगा।
रिटायर्ड शिक्षक गुलफाम सिंह यादव ने कहा कि किसी भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा का महत्व सबसे ज्यादा है। आज लोगो को शिक्षा से दूर करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। दूसरी बात जो भी शिक्षित समुदाय है। उसे कोई सम्मानजनक रोजगार की गारंटी नहीं है। इसलिए नौजवानों में हताशा , निराशा बढ़ रही है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हमे संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।
सभा का संचालन करते हुए जनहित सत्याग्रह मोर्चा के महामंत्री चरन सिंह यादव ने कहा कि आज पेरियार ललाई सिंह यादव के विचारो व संघर्षों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। आज देश की राजनीतिक व्यवस्था फासीवाद की ओर आगे बढ़ रही है। संवैधानिक अधिकारों को रौंदा जा रहा है। देश में जातीय व धार्मिक हमले बढ़ रहे हैं। पूंजीवादी व्यवस्था सभी का शोषण कर रही है। इसके लिए हमे ललाई सिंह यादव के विचारों पर चलते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाने की जरूरत है। तभी हम एक मानवीय व समाजवादी समाज बना सकते हैं।
कार्यक्रम को डा नेत्रपाल सिंह, ओम सिंह, भोजराज सिंह, अमरीश यादव, शकील अहमद, बब्लू, हरीश सिंह बौद्ध, आदि ने संबोधित किया।
अंत में कार्यक्रम के आयोजक कल्याण सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। और प्रण किया कि जातिवाद, अंधविश्वास, वर्ण व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष की मशाल को बुझने नहीं दिया जाएगा।