नई सराय पुलिस चौकी स्थित श्री राधा माधव मन्दिर में श्री हिंदू युवा गणेश सेवा मण्डल के तत्वावधान में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन कथा व्यास पंडित रविकांत शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्रीराम व सीता माता के वनवास के दौरान कुटिया में रहने का उदाहरण देते हुए बताया कि एक महल की अपेक्षा एक कुटिया में जीवन यापन कई गुना शांतिपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि जीवन की मोहमाया के जंजाल से कुटिया में जीवन कई गुना सुंदर होता है जैसे श्रीराम ने अयोध्या के ऐश्वर्य पूर्ण जीवन को त्यागकर वन में वास किया वो भी एक कुटिया में। उन्होंने बताया कि भगवान के अपराधी को तो क्षमा हो सकती है लेकिन साधु संतों के प्रति किए गए दुर्व्यवहार की कभी क्षमा नहीं मिलती है। दुनिया जितना हमे अच्छा समझती है उतने अच्छे हम होते नहीं है। सूर्पणखा का प्रसंग देते हुए बताया कि जहां पर भक्ति होती है वहां पर वासना का वास नहीं होता है अर्थात भक्ति को ही सर्वोपरी बताया। शास्त्री जी ने बताया कि मन में भाव विभोर की भावना को ही भांवता कहा गया है। शास्त्री जी ने राजनीति व धन के बारे में बताया कि नीति के बिना कभी राज नहीं चलता है और धर्म के बिना कभी धन नहीं टिकता। इस अवसर पर संगीतमय कथा में सैकड़ों महिला एवं पुरुष भक्त मौजूद रहे।