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संतों की संगत से होता है मन निर्मल– रवि जी महाराज

संतों की संगत से होता है मन निर्मल– रवि जी महाराज*****

उझानी बदायूं 25 जनवरी 2024। अयोध्या राम मन्दिर में श्री राम जी के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में मेरे राम सेवा आश्रम पर नौ दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव आरम्भ। कथा के प्रथम दिवस रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा
प्रथम भगत संतन कर संगा
दूसरी रति मम कथा प्रसंगा
संतो के संग से मन निर्मल होता है मन निर्मल हो तभी मेरे राम जी के दर्शन हो सकते है l
बाल्मिक जी कहते हैं जिस घर में नियमित रामायण का पाठ होता है वह घर तीर्थ स्थान हो जाता है, वहां जाने वाले कोई भी हो, सबके पाप मिट जाते,
रामायण की महिमा बताते हुए वाल्मिक , और गोस्वामी की कहते हैं रामायण कलयुग में कल्पवृक्ष है, यह चंद्र की किरणों की समान शीतलता प्रदान करती है यह समस्त समस्याओं का नाश करती है रामकथा जो गाते हैं,सुनते हैं,सुनाते हैं, वह कभी नरक में नहीं जाते
गोस्वामी जी ने राम चरित मानस मंगलवार के दिन अवधपुरी में ही जिस दिन मेरे राम जी का जन्म हुआ था उसी दिन इस रामायण को समाज को समर्पित, लोकार्पित किया।
यह कथा को याज्ञबल्कि जी भारद्वाज जी को और शंकर जी सती जी को काजू भूसुंडी जी पक्षियों के राजा गरूण को और गोस्वामी जी अपने मन को यही कथा सुनाते हुए कहते हैं,
भरद्वाज जी को याज्ञवल्की कथा सुनाते हुए कहते हैं
एक एक बार त्रेता युग में भगवान शंकर ऋषि कुंभज के पास राम कथा सुनने गए वहां कथा सती ने नहीं सुनी भगवान शंकर ने सुनी और ऋषिवर को भक्ति का वरदान दिया
सागर नदियों से कभी नहीं कहता फिर भी नदियां सागर की ओर दौड़ी चली आती है, चाणक्य बनो चंद्रगुप्त दौड़ा चला आऐगा, रामदास बनो शिवाजी चरण दबायेगा,कृष्ण बनो अर्जुन भागता चला आऐगा , माता सावित्री सी बनो यमराज जी प्रणाम करके चला जाएगा माताओं अनसुइया बनो भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश जी आपके बालक स्वरुप होंगे,
उसी समय भगवान राम अपनी लीला करने दंडक बन में सीता जी को खोजते हुए कामी पुरुष की भाति परेशान घूम रहे थे भगवान शंकर कथा सुन कर आकाश मार्ग से वापस आ रहे थे भगवान को देखा प्रणाम किया और कहा सती तुम भी प्रणाम करो लेकिन सती ने प्रणाम नहीं किया बार-बार कहने पर भी प्रणाम नहीं किया तब भगवान शंकर ने कहा तुम चाहो तो परीक्षा ले सकती हो यह मेरे इष्टदेव भगवान राम और सती परीक्षा लेने चली गई भगवान ने पहचान लिया और सती ने आकर वापस आकर शंकर जी से झूठ बोल दीया की मैंने कोई परीक्षा नहीं ली आपकी तरह प्रणाम किया भोले बाबा ने सब कुछ जान लिया और मन से सती का त्याग कर दिया ।
इस रामकथा में ग्रीस पाल शिसोदिया,विष्णु गुप्ता, आकाश नगर प्रचारक, संस्कार,विकास चौहान,नमन सैनी, राहुल अग्रवाल मोहितप्रभाकर, अजयपाल यादव,उत्पल सक्सेना, दिव्यांस मिश्रा,अलंकार, अरविन्द शर्मा, संजीव वर्मा,विजय शर्मा,कमलेश मिश्रा मोना चौधरी दीपेश धमेंद्र सक्सेना अनुराधा सक्सेना,अर्चना चौहान,गजेंद्र पंत,शशांक,अंकित,लक्ष्मी गुप्ता गुड्डी गुप्ता,राखी साहू राकेश साहू सौरभ,संजीव सक्सेना बाबू शाक्य आदि राम भक्त उपस्थित रहे । राजेश वार्ष्णेय एमके