जाने 22 जनवरी को ही क्यों होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी विक्रम संवत 2080 यानी कि सोमवार 22 जनवरी 2024 को आ रहा है। शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में किया जाएगा। यह मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा।. भगवान श्रीराम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, उसी शुभ मुहूर्त में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस दिन ग्रहों की दशा भी अति उत्तम रहेगी, वहीं 12 से अधिक शुभ योग इस दिन बनेंगे। इस दिन जन्मे बच्चों का भविष्य बहुत ही उज्जवल रहेगा। जानें ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से इस दिन कौन से शुभ योग बनेंगे
ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति
22 जनवरी, सोमवार को मेष लग्न रहेगा तथा इस लग्न में बृहस्पति,सुर्य के नक्षत्र द्वितीय भाव में चंद्रमा मंगल के नक्षत्र में, षष्टम भाव में केतु, नवम भाव में बुध, मंगल और शुक्र, दशम भाव में सूर्य, शनि एकादश भाव में और द्वादश भाव में राहु की स्थिति होगी। यह ग्रह स्थिति अपने आप में ही राजयोगों से भरपूर है।
चामर योग तथा दीर्घायु योग
22 जनवरी को लग्न तथा अष्टम भाव का स्वामी मंगल नवम भाव में मित्र बृहस्पति की राशि में रहेगा। यह एक उच्च स्तरीय राजयोग है। केंद्र का स्वामी नवम त्रिकोण में चले जाने से चामर तथा दीर्घायु योग बनेंगे। इन योगों में यदि किसी का जन्म हो तो वह बालक धनवान और अच्छी सेहत वाला होता है। उस बच्चे में धार्मिक गुण होते हैं। इनकी आयु भी लंबी होती है।
धेनु योग तथा काम योग
द्वितीय तथा सप्तम भाव का स्वामी शुक्र नवम भाव में लग्नेश के साथ है, जिससे धेनु तथा काम योग बन रहा है। इन योगों में जन्मे बच्चे को जीवन भर पैसों की कमी नहीं होती। ये दान करने में आगे रहता है। इनकी पत्नी सुंदर, सुशील और धार्मिक स्वाभाव की होती है। इनहें गृहस्थ जीवन में सुख प्राप्त होता है।शौर्य योग, तपस्वी योग तथा अस्त्र योग
तृतीय भाव और छठे भाव का स्वामी बुध नवम भाव में मंगल तथा शुक्र के साथ मिलकर शौर्य, तपस्वी और अस्त्र योग बन रहा है। इन शुभ योगों में जन्मा बच्चा शूरवीर और पराक्रमी होता है। ये पढ़ने-लिखने में भी आगे रहते हैं। लिखने में इनकी खास रूचि होती है।
जलधि योग बनाता है आकर्षक
चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्रमा द्वितीय भाव में उच्च राशि में है, यह जलधि योग कहलाता है। इस योग में जन्में लोग दिखने में सुंदर और आकर्षक होते हैं। ये समाज में ऊंची प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। ये अपनी बोल-चाल से किसी को भी प्रभावित कर लेते हैं। इन्हें समय-समय पर भूमि से लाभ भी होता है।
छत्र योग बनाता है तेज बुद्धि वाला
पंचम भाव का स्वामी सूर्य दशम भाव में है जो की दिग्बली भी है, यह छत्र नाम का राजयोग बना रहा है। इस राजयोग में जन्में लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं, इनका आईक्यू लेवल बहुत अच्छे स्तर का होता है। वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की कुंडली में यह योग था। ये लोग अच्छे निर्णय लेते हैं, जिससे सभी को लाभ होता है।
भाग्य योग करवाता है विदेश यात्रानवम तथा द्वादश भाव का स्वामी बृहस्पति लग्न में मित्र की राशि में है तथा दिग्बली है। इसे भाग्य योग कहते हैं। इस योग में जन्मे बच्चों पर ईश्वर की कृपा होती है। ये चमत्कारिक रूप से बड़े-बड़े संकटों को पार कर लेते हैं। इनमें दयालु प्रवृत्ति जन्म से ही होती है। इन लोगों के कईं बार विदेश जाने का मौका मिलता है।
ख्याति योग तथा पारिजात योग
दशम तथा एकादश भाव का स्वामी शनि एकादशी भाव में है, जो ख्याति और पारिजात योग बना रहा है। इन शुभ योग में जन्में बच्चे समाज में विशेष मान-प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। इनके पास धन प्राप्ति के अनेक साधन होते हैं। ये लोग यदि निर्धन घर में भी जन्म लेते हैं तो भी बड़ी सफलता प्राप्त करते हैं।
श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा की संपूर्ण जनमानस को बहुत-बहुत मंगल कामनाएं
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
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