ताअसुरात का दिल पर असर नहीं कोई
बहुत दिनों से ख़ुद अपनी ख़बर नहीं कोई
किसे बताए की इस दिल की क़ैफ़ियत क्या है
किसे दिखाएं कि अब दीदावार नहीं कोई
ज़माना कहता रहे बा सलाहियत लेकिन
मैं जानती हूं कि मुझ में हुनर नहीं कोई
जहां दिलों में फक़त नफरतों का कब्ज़ा है
अब ऐसी दुनिया में अपना गुज़र नहीं कोई
जहां में कुछ भी नहीं है बग़ैर औरत के
ये और बात के औरत का घर नहीं कोई
चला रहा है मुझे कौन अपनी मर्ज़ी से
मेरी हयात के पीछे अगर नहीं कोई
ये कारवां है सभी चल रहें हैं साथ सिया
मगर किसी का वहां हमसफ़र नहीं कोई
सिया सचदेव