गुस्से से हमारा जीवन और भविष्य दोनों की गति रुक जाती हैं
बिल्सी के दबिहारी गांव में बौध्द कथा का तीसरा दिन
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव दबिहारी में चल रही भगवान बौद्ध की पांच दिवसीय कथा के तीसरे दिन कथावाचक रामनिवास शाक्य ने गुस्से पर बुद्ध के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुस्सा करने वाला व्यक्ति जहर तो खुद पिता हैं, लेकिन मरने की आशा किसी और से करता हैं। महात्मा बुद्ध की ये सभी बातें एक सनकी व्यक्ति सुन रहा था। उसको बुद्ध के विचार बिल्कुल अच्छे नहीं लगे। बुद्ध क्रोध के विषय पर बोल रहे थे, लेकिन उनका चित बिल्कुल शांत था, इस बात से उस सनकी को और गुस्सा आ गया। सनकी आदमी उठा और उसने महात्मा बुद्ध के मुंह पर थूक दिया और बुद्ध को अपमानित करते हुए भला बुरा कहने लगे। उस आदमी के इस व्यवहार से सारी सभा भड़क उठी. बुद्ध ने सभी को शांत किया और उस व्यक्ति से कहा की तुमको इस विषय पर कुछ और कहना हैं, वह व्यक्ति वहां से चला गया। महात्मा बुद्ध ने सभी को समझाया। उस व्यक्ति को बहुत सारी परेशानियाँ हो सकती हैं। उस व्यक्ति को लेकर मैं गुस्सा क्यों करूँ? अगली सुबह हुई.उस व्यक्ति का गुस्सा शांत हुआ और वह ढूंढता हुआ महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा। वह सनकी व्यक्ति बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और बोला महात्माजी मैं वही दुष्ट हूँ जिसने कल आप पर थूका, आप मुझे क्षमा कर दीजिये. बुद्ध ने उस व्यक्ति को खड़ा किया और बोले मैं तुम्हारी बातों को कल ही भूल गया। मुझे तुम्हारी बातो से कोई संदेह नहीं हैं। मैं भला तुम्हारी बातों को मेरी जेहन में उतार कर खुद का नुकसान क्यों करूँ। किसी बात को लेकर बैठने से हमारा जीवन और भविष्य दोनों की गति रुक जाती हैं। इसलिए इन व्यर्थ की बातों का मेरे यहाँ कोई स्थान नहीं हैं। इस प्रकार उस सनकी को महात्मा बुद्ध ने ज्ञान का पाठ पढाया। कथा में डा.आबेडकर के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर रामौतार सिंह, गजेंद्र सिंह, मुन्नालाल, राजाराम, द्रवारिका प्रसाद, भगवान सिंह, शैलेंश कुमार, सुखवीर शाक्य, शिशुपाल आदि मौजूद रहे।