जनाबे फातिमा ज़हरा की शहादत पर ‘याद ए ग़म मनाया गया
बदायूँ। रसूले अकरम की इकलौती बेटी जनाबे फातिमा ज़हरा की शहादत की याद में इतवार को याद ए ग़म मनाया गया। शिया समुदाय ने शहर में अनेक स्थानों पर मजलिस ए अज़ा का आयोजन किया। इमामबाड़ा मुत्तक़ीन सय्यदबाड़ा, बदायूँ में मजलिसे हुई।
मजलिस को ज़ाकिर ए अहलेबैत जनाब सय्यद गुलाम अब्बास साहब ने ख़िताब करते हुए कहा कि रसूले अकरम ने सबसे पहले बेटी बचाओ व औरतो को सम्मान देने की शुरुआत की। रसूले अकरम की बेटी जब उनके पास आती थी तो वो उनके इस्तेकबाल के लिए खड़े हो जाया करते थे। यही संदेश देते थे कि बेटियां अल्लाह की रहमत होती हैं। इनका एहतेराम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पर्दा हमे किसी काम से रोकता नही बल्कि लोगो की खराब निगाहो से बचाता है। हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि आज परदे में रहकर बेटियां तरक़्क़ी कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि रसूले अकरम की वफात के बाद कुछ अराजकतत्वो ने फातिमा ज़हरा के घर मे आग लग दी और ज़ुल्म किया। इस हादसे में आप घायल हो गईं और कुछ दिनों के बाद आपकी शहादत हो गई।
फातिमा ज़हरा की शहादत का ज़िक्र सुनकर मजलिस में मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई। बाद मजलिस नोहखवानी डॉ कमर अब्बास ने की और लोगों ने मातम किया।