बदायूँ : 05 दिसम्बर। जिला कृशि रक्षा अधिकारी ने अवगत कराया है कि कृशक बढती हुई ठण्ड व कहीं कहीं बूदा वॉदी से तापमान में लगातार गिरावट आ रही है ऐसी स्थिति में सरसों की फसल में कीट व रोग लगने की सम्भावना है वैसे तो जनपद बदायॅॅू में इस मोसम में सरसों की फसल वहूमूल्य है किन्तु उत्तर प्रदेष सरकार के कृशि विभाग द्वारा किसानों को निःषुल्क उपलव्ध कराई जा रही सरसों की मिनीकिट तथा तिलहन बीज के लगातार बढती कीमतों ने जनपद के कृशकों कों इस फसल की ओर आक्रर्शित किया है जिससे जनपद में सरसों का क्षेत्रफल भी बढा हे ऐसे में इस फसल से अधिक उत्पादन के लिए इस की रोग और कीटों से सुरक्षा अत्यधिक आवष्यक है। ऐसे में जिला कृशि रक्षा अधिकारी दुर्गेष कुमार सिंह ने सरसों उत्पादक कृशकों के हित में एडवाइजरी जारी की है। सिंह ने बताया कि वैसे तो सरसों सर्दी के मौसम में बोई जाने वाली फसल है किन्तु तापमान में अचानक भारी गिरावट आती है तो यह इस फसल के लिए हानिकारक भी बन जाता है ओैर जैसे जेसे तापमान में और ज्यादा गिरावट आयेगी तो ये मौसम ओैर खतरनाक बन जायेगा।
सरसों में जाड़ा पाला वारिस से होने वाले विभिन्न कीट रोगों से निम्न प्रकार सुरक्षा की जा सकती है । सरसों में माहू अथवा चैप कीट के बचाव हेतु निम्न कीटनाषक का प्रयोग करना चाहिए । नीम का तेल 2.5 लीटर, 500 लीटर पानी में घोल वनाकर प्रति हे0 छिड़काव कर देना चाहिए। इस कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो डाइमैथिएट नामक कीटनाषक की 1 ली0मा़त्रा प्रति है0 छिड़काव कर देने से कीट का नियंत्रण प्रभावी रूप से हो जाता है। 500 मिली0 इमिडाक्लोप्रिड या 500 ग्राम थायोमैथाक्षम को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति है0 छिड़काव कर देना चाहिए। साथ में यह भी ध्यान रखे की सरसों की फसल में अधिक यूरिया का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए ।