11:18 am Friday , 31 January 2025
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अलापुर में कल निकाली जाएगी राम बारात

अलापुर में कल निकाली जाएगी राम बारात म्याऊं। नगर पंचायत अलापुर में  चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के चौथे दिन रविवार की रात रामलीला के कलाकारों ने रावण-बाणासुर संग्राम का शानदार मंचन किया। मिथिला के राजा जनक के आमंत्रण पर राम- लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ राजा जनक के यहां सीता स्वयंवर में पहुंचते हैं। राम, लक्ष्मण के सौंदर्य को देख वहां सभी मोहित हो जाते हैं। इसी बीच लंकापति रावण बिना आमंत्रण सीता स्वयंवर में पहुंचता है। यह देखकर सभापति बाणासुर रावण का परिचय पूछते हैं।बाणासुर के रावण से परिचय पूछते ही वह क्रोध से तमतमा उठता है और फिर यहीं से रावण और बाणासुर का संवाद शुरू होता है। लंकापति रावण सीता स्वयंवर के लिए आमंत्रण न मिलने पर राजा जनक पर क्रोधित होता। निमंत्रण न दिए जाने का कारण पूछता है। जनक कहते हैं कि समुंदर पार लंका जाना संभव नहीं था। इसीलिए निमंत्रण नहीं भेज सके। तो रावण और क्रोधित हो जाता है और कहता है कि अगर आप ने समुद्र में एक पत्र भी डाल दिया होता तो समुंद्र में इतना साहस नहीं होता कि हम तक वह न पहुंचा देता। सभी एक-एक कर धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह धनुष को हिला नहीं पाते हैं। इससे राजा जनक दुखी मन से कहते हैं कि मेरी पुत्री कुंवारी रह जाएगी। लगता है कि धरती वीरों से खाली हो गई है। इतना सुनते ही लक्ष्मण जी क्रोध से भर जाते हैं और कहते हैं कि एक धनुष क्या मैं दस धनुष को तोड़ सकता हूं, लेकिन मेरे बड़े भाई श्रीराम यहां बैठे हैं।
मैं यह कार्य नहीं कर सकता। गुरु विश्वामित्र राम को आज्ञा देते हैं। राम उठकर बड़ी शालीनता से धनुष को प्रणाम करते हैं और उसे उठा लेते हैं। राम धनुष पर जैसे  ही प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, धनुष टूट जाता है। धनुष के टूटते ही आकाश से देवता फूलों की बारिश करते हैं। धनुष टूटते ही धरती उसकी गर्जना से कांप उठती है।

कुलदीप सिंह म्याऊं