4:39 am Friday , 31 January 2025
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कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन इस वर्ष प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किया गया।

बदायूँ में हर वर्ष आचमन फाउंडेशन द्वारा आयोजित होने वाला आचमन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन इस वर्ष प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किया गया।

लखनऊ में कल एक शुद्ध साहित्यिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अवसर था आचमन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान में आयोजित इस काव्य समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक उपस्थित रहे जिनका स्वागत आचमन फाउंडेशन के संस्थापक युगल डॉ सोनरूपा विशाल एवं विशाल रस्तोगी ने किया इस काव्य संध्या में देश के दिग्गज कवि जुटे।

स्वागत भाषण में हास्य कवि सर्वेश अस्थाना जी ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि लखनऊ साहित्य और तहज़ीब की सरजमीं है। ऐसे में आचमन जैसे गरिमाययी कार्यक्रम होना हम सब के लिए गर्व की बात है

आयोजन के सम्मान सत्र में प्रथम ‘आचमन सम्मान’ विख्यात वरिष्ठ कवि डॉ हरिओम पँवार जी को प्रदान किया गया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र कुमार जी एवं इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन श्री मुकेश बहादुर जी उपस्थित रहे।

सम्मान के इस सत्र का संचालन डॉ अक्षत अशेष ने किया।

अतिथि कवियों का स्वागत उप मुख्यमंत्री माननीय ब्रजेश पाठक जी ने किया।

सम्मान समारोह के बाद एक शानदार कविसम्मेलन का आग़ाज़ हुआ। आचमन की संस्थापक डॉ सोनरूपा विशाल के संचालन में मेरठ से पधारे सुप्रसिद्ध कवि डॉ हरिओम पँवार, कानपुर से विनोद श्रीवास्तव, दिल्ली से इक़बाल अशहर एवं चिराग़ जैन रायबरेली से डॉ भावना श्रीवास्तव, बदायूं से उपदेश शंखधार, लखनऊ से चंद्रशेखर वर्मा, भदोही से योगेश शुक्ला एवं शिवपुरी मध्य प्रदेश से मनु वैशाली की ज़ोरदार प्रस्तुति ने श्रोताओं को दाद पर दाद देने के लिए मजबूर कर दिया।

हरिओम पंवार ने अपनी ओजस्वी वाणी से कवि सम्मेलन में कवि धर्म को गान करते हुए आत्ममंथन की धारा प्रवाहित कर दी। उन्होंने कहा-

पैरों में अंगारे बांधे
सीने में तूफान भरे
आंखों में दो सागर आंजे
कई हिमालय शीश धरे
मैं धरती के आंसू का
संत्रास नही तो क्या गाऊँ
खूनी तालिबानों का इतिहास नही तो क्या गाऊँ

इक़बाल अशहर शायरी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपनी ज़हीन आवाज़ में कहा –

यही जुनून यही एक ख़्वाब मेरा है
वहाँ चराग़ जला दूँ जहाँ अंधेरा है
तेरी रज़ा भी तो शामिल थी मेरे बुझने में
मैं जल उठा हूँ तो ये भी कमाल तेरा है

आपसी सौहार्द और गंगा जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने वाले शायर विनोद श्रीवास्तव ने कहा –

धर्म छोटे – बड़े नहीं होते ,जानते तो लड़े नहीं होते ।
चोट तो फूल से भी लगती है, सिर्फ पत्थर कड़े नहीं होते ।।

कवि सम्मेलन की प्रखर आवाज़ चिराग जैन ने बताया कि साहित्य में कवि  और कविता का योगदान क्या है

हम हैं हिन्दी कविता की बुनियाद में गड़ने वाले लोग
कहीं बहुत जमनेवाले और कहीं उखड़ने वाले लोग
कवि-सम्मेलन पर मजमेबाज़ी का तमगा मत टांको
मंचों पर भी मिल जाते हैं लिखने-पढ़नेवाले लोग

मधुर स्वर वाली शायरा डॉ भावना श्रीवास्तव ने अपनी ग़ज़ल में कहा –

ये मैंने कब कहा अच्छा नहीं है
वो अच्छा है मगर मुझ सा नहीं है
सुख़न कारी है काविश रात दिन की
ये नौ से पाॅंच का क़िस्सा नहीं है

युवा कवि योगेश शुक्ला ने की पंक्ति यूं थी –

जोश में होती कभी होती थकी सी
क्योंकि तन का भार ढोती! पालकी सी
और सुख-दुख मध्य कावा-काटती है
ज़िन्दगी है ख़ूबसूरत नर्तकी सी

कवि सम्मेलनों की सबसे छोटी चिड़िया मनु वैशाली ने कहा –
     
उलझे उलझे हैं सुलझा लो सिद्ध सरल हो जायेंगे,
पूर्णफलित या समाकलित या फिर अवकल हो जायेंगे,
सिर्फ निरंतरता रखना तुम और जरा सा संयम भी,
अंकगणित के प्रश्नों जैसे हैं हम हल हो जायेंगे !

कवि सम्मेलन में सोनरूपा विशाल का संचालन एवं उनके कर्णप्रीय गीत, मुक्तक से पूरा सदन झूम उठा  कवि सम्मेलन एवं उनके गीत  माइक हाथ में लिया तो पूरा वातावरण सुगंधित हो गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक ने कहा कि जहाँ आजकल लोग हास्य कवि सम्मेलन को ही सफलता की गारंटी मानने लगे हैं ऐसे में इस तरह का साहित्यिक आयोजन, आयोजन नहीं साहित्यिक अनुष्ठान है।इस दिशा में अगर इसी तरह से प्रयास किये जायें। इस प्रयास के लिए उन्होंने डॉ. सोनरूपा को बधाई और शुभकामनाएँ दीं।

इस अवसर पर हास्य कवि सर्वेश अस्थाना, विनय श्रीवास्तव, अभिषेक शर्मा, रामायण धर द्विवेदी समेत शहर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

अंत मे कार्यक्रम के आयोजक एवं संयोजक दम्पति विशाल रस्तोगी एवं सोनरूपा विशाल ने अतिथियों के सहयोग और उपस्थिति के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।