भाई दूज, बहन भाई के अटूट विश्वास का पर्व।**********– भाई दूज की पौराणिक कहानी। ,,कल हे,,।************************
उझानी बदायूं 15 नवंबर।
यमुना तथा यमराज भाई बहन थे। इनका जन्म भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था। यमुना यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह व प्यार करती थी। यमुना यमराज को बार बार अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती थी। लेकिन यमराज अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण हर बार यमुना की बातों को टाल देते थे।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लेती है। यमराज भी सोचते हैं कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे तो कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है जो इतनी सद्भावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित कर रही है।
तिथि के दिन यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है। और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं। यमराज के घर पहुंचते ही यमराज को अपने द्वार पर देख यमुना की खुशी का ठिकाना नही रहता और वह सबसे पहले स्नान करके यमराज को तिलक करके भोजन कराती है।
बहन के अपने प्रति स्नेह, आदर और सम्मान को देखकर यमराज खुश हो जाते हैं और यमुना को वर मांगने का आदेश देते हैं। यमुना ने कहा भद्र! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराये उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और आभूषण देकर चले जाते हैं।
भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद या तीसरे दिन मनाया जाता है।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ही यमुना ने यमराज को तिलक कर भोजन कराया था ।और वर मांगा था जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था इसीलिए भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन भाई और बहन दोनों के लिए काफी शुभ दिन माना जाता है। राजेश वार्ष्णेय एमके