संस्कार युक्त जीवन जीने वाला कभी भी कष्ट में नहीं रहता है
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव सतेती के होली चौक स्थित भगवानदास मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन कथावाचक गोपालाचार्य महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता है। भक्ति के बिना ज्ञान शुष्क ही रहता है जबकि ज्ञान के अभाव में भक्ति में भटकाव आ जाता है। गोपियां दोनों गुणों की चरमावस्था पर हैं इसीलिए श्रीकृष्ण और उनका प्रेम अनन्यतम और उच्चतम स्तर का है। स्वामी जी ने कहा कि भक्तों के सारे कृत्य भगवान को केंद्र में रखकर होते हैं। जो काम प्रभु की प्रसन्नता के लिए किए जाते हैं वही पुण्य हैं जबकि मात्र अपने सुख के लिए किए जाने वाले कृत्य पाप की श्रेणी में आते हैं। सभी सांसारिक दायित्वों को भगवान की आज्ञा मानकर निर्लिप्त भाव से करना ही कर्मयोग है। निष्काम कर्म करने वाले कर्मयोगी भगवान को अतिशय प्रिय हैं। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उद्धव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। इस मौके पर बब्लेश राठौर, अशोक कुमार, अनूप सिंह राठौर, विजेंद्र सिंह, धर्मवीर शर्मा, राहुल सोलंकी, रामवीर शर्मा, रविंद्र सिंह, अंकुल सिंह, रविंद्र सिंह, अंकुर सिंह, कुलदीप शर्मा आदि मौजूद रहे।