तीसरे दिन मंदिरों में हुई मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना
बिल्सी। नवरात्र के तीसरे दिन नगर के मंदिरों में भक्तों ने मां चंद्रघंटा की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। भक्त बताते है कि देवी का यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी हैं। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित हैं। इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है। इनके घंटे की भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप दर्शक और आराधक के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है। भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है। नगर के मोहल्ला संख्या एक हनुमानगढ़ी स्थित देवी मंदिर, मोहल्ला संख्या पांच के दुर्गा मंदिर, शिव शक्ति भवन मंदिर, कुटी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, देववाणी मंदिर समेत प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों ने मां का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की।