राजकीय महिला महाविद्यालय, बदायूं में गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में, महाविद्यालय प्राचार्या प्रो० स्मिता जैन के निर्देशन में तथा डॉ० भावना सिंह के मार्गदर्शन में “वस्त्र का सतही अलंकरण तथा सामुदायिक विकास एवं कार्यक्रम नियोजन” शीर्षक पर सात दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत आज दिनांक 17 अक्टूबर 2023 को श्रृंखला के प्रथम दिवस पर विषय विशेषज्ञ के रूप में नवल किशोर म्युनिसिपल कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चंदौसी की श्रीमती आरती ओझा ने “वस्त्रों पर की जाने वाली परिसज्जा” शीर्षक पर ऑनलाइन प्रसार व्याख्यान दिया। आज के प्रसार व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को वस्त्रों को आकर्षक बनाने हेतु की जाने वाली परिसज्जाओं से अवगत कराना था। उन्होंने बताया की बुनाई प्रक्रिया के पश्चात जब वस्त्र करघे से उतारा जाता है तो वह खुरदुरा तथा आकर्षणहीन दिखाई देता है क्योंकि बुनाई प्रक्रिया में कई प्रकार की अशुद्धियां आ जाती है जिससे वस्त्र का आकर्षण तथा उपयोगिता कम हो जाती है, इसलिए विभिन्न विधियों द्वारा निर्मित वस्त्र के रूप में परिवर्तन लाने के लिए जो क्रियाएं की जाती है वही परिसज्जा कहलाती है। व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सबसे पहले परिसज्जा के उद्देश्यों पर चर्चा की, जिसके अंतर्गत वस्त्र की उपयुक्तता और उपयोगिता में वृद्धि करना, वस्त्रों में विभिन्नता लाना, वस्त्र के बाहय स्वरूप को आकर्षक बनाना, वस्त्र का वजन बढ़ाना तथा कड़ा करना, वस्त्र में बनावटीपन लाना, उपभोक्ता को आकर्षित करने हेतु, वस्त्र का अनुकरण करने हेतु आदि बिंदुओं को समझाया। व्याख्यान को और आगे बढ़ाते हुए उन्होंने परिसज्जा के वर्गीकरण के तीन आधार, स्थायित्व के आधार पर, कार्य के आधार पर तथा विधि के आधार पर बताए। स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा के चार प्रकार-स्थाई परिसज्जा, टिकाऊ परिसज्जा, आंशिक टिकाऊ परिसज्जा तथा अस्थाई परिसज्जा पर चर्चा की। कार्य के आधार पर परिसज्जा के चार प्रकार प्रारंभिक परिसज्जा, स्थायीकरण प्रक्रियाएं, सतही स्वरूप को परिवर्तित करने वाली परिसज्जा तथा क्रियात्मक परिसज्जाओं के बारे में बताया। विधि के आधार पर दो प्रकार की परिसज्जाएँ रासायनिक परिसज्जा तथा यांत्रिक परिसज्जा पर विस्तार से प्रकाश डाला। यांत्रिक परिसज्जा के बारे में बताते हुए उन्होंने निम्नलिखित परिसज्जाओं वस्त्रों की कुटाई करना, रोएं काटना तथा ब्रुश करना, विरंजित करना, राेएँ उठाना, क्रेपिंग, भराई, क्रेबिंग, सिरेइंग, मोएरिंग, ग्लेजिंग तथा नक्काशी करना आदि पर विस्तार से व्याख्यान दिया। रासायनिक परिसज्जा के अंतर्गत जल अभेघ परिसज्जा, सिलवट प्रतिरोधक परिसज्जा, जल निवारक परिसज्जा, फफूंदी सुरक्षा के लिए परिसज्जा, एंटी-स्टेटिक परिसज्जा, बैक्टीरिया प्रतिरोधक परिसज्जा, कीट प्रतिरोधक परिसज्जा आदि विस्तार से समझाए। श्रीमती आरती ओझा ने अपने व्याख्यान को अत्यंत ही रुचिकर तरीके से छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत किया, जिससे की छात्राएं अत्यंत रुचि लेकर व्याख्यान सुन रही थीं। व्याख्यान कें अंत में विषय विशेषज्ञ द्वारा छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देकर समस्या का समाधान किया गया। अंत में डॉ० भावना सिंह ने श्रीमती आरती ओझा का आभार व्यक्त कर छात्राओं को अगले दिन होने वाले प्रसार व्याख्यान के बारे में जानकारी दी।