7:16 am Friday , 31 January 2025
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पूर्व बाल्यावस्था में विकास पर प्रसार व्याख्यान का आयोजन

राजकीय महिला महाविद्यालय, बदायूं में गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में, महाविद्यालय प्राचार्या प्रो० स्मिता जैन के निर्देशन में तथा डॉ० भावना सिंह के मार्गदर्शन में “पोषण एवं मानव विकास के मूल तत्व” शीर्षक पर सात दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत आज दिनांक 16 अक्टूबर 2023 को श्रृंखला के पंचम दिवस पर विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ० नीरज त्यागी ने “पूर्व बाल्यावस्था में विकास” शीर्षक पर प्रसार व्याख्यान दिया। आज के प्रसार व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को पूर्व बाल्यावस्था में होने वाले विभिन्न विकास जैसे शारीरिक, क्रियात्मक, सामाजिक, संवेगात्मक, संज्ञानात्मक विकास एवं भाषा विकास से अवगत कराना था। व्याख्यान की शुरुआत में उन्होंने बताया कि पूर्व बाल्यावस्था 2 से 6 वर्ष तक की अवस्था है, जिसमें बालक का विकास तीव्र गति से होता है जिसका कारण बालक की क्रियाशीलता में वृद्धि है। इसके बाद उन्होंने इस अवस्था के विकासात्मक कार्यों तथा विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की। जिसके अंतर्गत उन्होंने बताया कि पूर्व बाल्यावस्था पूर्वशालेय अवस्था, समूह पूर्व अवस्था, जिज्ञासावृति की अवस्था, समस्या अवस्था, स्थिरता और शांति की अवस्था है। आगे बढ़ते हुए उन्होंने इस अवस्था में शारीरिक विकास के अंतर्गत लंबाई, वजन, शारीरिक अनुपात, दांतों का विकास, नाड़ी संस्थान का विकास, पाचन तंत्र का विकास, श्वसन तंत्र का विकास, मांसपेशियों तथा वसा ऊतकों का विकास, रक्त परिसंचरण का विकास तथा अस्थियों के विकास पर प्रकाश डाला। इसके बाद उन्होंने क्रियात्मक विकास के अंतर्गत शारीरिक कौशल के विकास को दो भागों में विभाजित कर हाथ के कौशल तथा पैर के कौशल के बारे में विस्तार से बताया, जिसके अंदर मुख्य रूप से स्वयं खाना, स्वयं वस्त्र पहनना, कंघी करना, गेंद फेंकना, लिखना, चित्रकला तथा दस्तकारी, गुटका निर्माण, दौड़ना, उछलना, कूदना, छलांग लगाना, सीढ़ी चढ़ना, साइकिल चलाना, तैरना, नृत्य करना आदि को सम्मिलित किया। पूर्व बाल्यावस्था में सामाजिक विकास को समझाते हुए उन्होंने कुछ प्रमुख सामाजिक व्यवहार जैसे कि खेल, अनुकरण, झगड़ा तथा मारपीट, सहयोग और सहानुभूति, चिढ़ाना व तंग करना, आक्रामकता, ईर्ष्या, प्रतियोगिता तथा मित्रता के बारे में समझाया। इसके साथ ही संवेगात्मक विकास के अंतर्गत पूर्व बाल्यावस्था के प्रमुख संवेग भय, क्रोध, ईर्ष्या तथा चिंता के प्रदर्शन, कारण तथा निवारण के साथ ही स्नेह, आनंद तथा जिज्ञासा के बारे में विस्तार से समझाया। व्याख्यान के अंत में भाषा विकास तथा संज्ञानात्मक विकास पर भी चर्चा की। डॉ० नीरज त्यागी ने अपने व्याख्यान को अत्यंत ही रुचिकर तरीके से छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत किया, जिससे की छात्राएं अत्यंत रुचि लेकर व्याख्यान सुन रही थी। व्याख्यान कें अंत में विषय विशेषज्ञ द्वारा छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देकर समस्या का समाधान किया गया। अंत में डॉ० भावना सिंह ने डॉ० नीरज त्यागी का आभार व्यक्त कर छात्राओं को अगले दिन होने वाले प्रसार व्याख्यान के बारे में जानकारी दी।