नवरात्रि के प्रथम दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें मंत्र, विधि, भोग, कथा ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
आज 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। पूरे नौ दिन भक्त मां की आराधना में लीन रहेंगे। नवरात्री के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी।
मां का प्रथम रूप मां शैलपुत्री है।यानि नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप की आराधना और पूजा होगी। आईए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से मां के इस रूप की विशेषता क्या है। साथ ही जानेंगे इस पूजा की विधि, मंत्र, और मां का भोग। इनका पूजन कैसे करें।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां का ये रूप बहुत ही शांतिप्रिय प्रतीत होता हैं। श्वेत वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। उनके माथे पर चंद्रमा उनकी शोभा बढ़ा रहा है। संपूर्ण हिमालय पर विराजमान मां नंदी बैल पर सवार हैं।
मां का यह रूप करुणा और स्नेह का प्रतीक है। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा भी कहते हैं। शास्त्रानुसार मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था। इसी के चलते इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव.जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।
मां शैलपुत्री पूजा विधि
सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद आटे से चौक बनाकर एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा तथा कलश की स्थापना करें। इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। चूंकि मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय हैं अतरू उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाएं।
जहां तक संभव हो भोग के लिए भी सफेद मिठाई का ही उपयोग करें। इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा का श्रवण करें। हो सके तो दुर्गा सप्शती का पाठ करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करके मां की आरती करें।
मां शैलपुत्री की कथा
एक बार राजा दक्ष द्वारा अपने निवास पर यज्ञ का आयोजन कर सभी देवीकृदेवताओं को आमंत्रित किया गया। परंतु अपने अपमान का बदला लेने के लिए उनके द्वारा शिव जी को नहीं बुलाया गया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता के घर यज्ञ में शामिल होने की इच्छा जाहिर की।
सती के आग्रह करने पर भगवान शिव ने भी उन्हें जाने की अनुमति तो दे दी लेकिन पिताजी के यहां पहुंचने पर पिता दक्ष ने भरी सभा में शिवजी के लिए अपशब्द कह डाले। इस स्थिति में मातासती निराश होकर मां सती यज्ञ वेदी में कूद पड़ी। उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद अगले जन्म में मां ने शैलराज हिमालय के घर में जन्म लिया। जहां वे शैलपुत्री कहलाईं।
मां शैलपुत्री के मंत्र
.ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
.वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री का भोग
मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अधिक प्रिय हैं। इसलिए मां की पूजा सफेद फूलों से की जाती है और उन्हें सफेद रंग के वस्त्र ही अर्पित किए जाते हैं। मां शैलपुत्री को सफेद रंग की दूध से बनी हुई मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। आप सफेद बर्फी या दूध से बनी किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं।
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य