सब को भगवान श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए
बिल्सी में संपन्न हुई श्रीमद्भागवद् कथा
बिल्सी। नगर के मोहल्ला संक्या पांच स्थित सिध्दपीठ श्री बालाजी धाम के तत्वावधान में नगर के जेपी जैन स्कूल में चल रही श्रीमद्भागवद् कथा के अंतिम दिन कथाव्यास पुष्कर पीठाधीश्वर जगद्गुरू श्री रामानुजाचार्य स्वामी रामचन्द्राचार्य ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा ना बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। उनसे बड़ा धनवान कोई नहीं था, क्योंकि उनके पास भगवान की भक्ति का धन था और जिसके मित्र साक्षात भगवान हों वो गरीब कैसे हो सकता है। उन्होंने अपने सुख एवं दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रृद्धालु भावविभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए, अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। कथा में बजीरगंज, गजरौला, बदायूँ, बनारस, गाजियाबाद, बरेली, कासंगज, चन्दौसी, हापुड़ आदि स्थानों से लोगों ने कथा का रसपान किया। इसको सफल बनाने में दरबार के मंहत मटरुमल शर्मा महाराज, चेयरपर्सन ज्ञानदेवी सागर, कवि नरेंद्र गरल, आशीष वशिष्ठ, प्रदीप शर्मा, संजीव शर्मा, दीपक माहेश्वरी, पुष्कीन माहेश्वरी, जितेंद्र वार्ष्णेय, राजेश माहेश्वरी, कल्पना भारद्वाज, ममता राठी, सारिका राठी, मुकेश गुप्ता, डा.राजाबाबू वार्ष्णेय, राजेश माहेश्वरी (गुरु जी), सुवीन माहेश्वरी आदि का विशेष सहयोग रहा।