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विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ० परिधि सक्सेना ने प्रसार व्याख्यान दिया

विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ० परिधि सक्सेना ने प्रसार व्याख्यान दिया

राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं में दिनांक 07 अक्टूबर 2023 को गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में “उन्नत पोषण एवं मानव विकास” शीर्षक पर सप्त दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम व सप्तम दिवस पर कन्या महाविद्यालय, आर्यसमाज भूड़, बरेली, की डॉ० परिधि सक्सेना ने “प्रौढ़ावस्था में विकास” शीर्षक पर ऑनलाइन प्रसार व्याख्यान दिया। व्याख्यान का आरंभ उन्होंने प्रौढ़ावस्था का परिचय करवाकर किया। जिसके अंतर्गत उन्होंने प्रौढ़ावस्था का अर्थ बताया तथा प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था (21-40 वर्ष) तथा मध्य प्रौढ़ावस्था (41-60 वर्ष) दोनों के विकासात्मक कार्यों से अवगत कराया। इसके साथ ही प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था की विशेषताएं जैसे संतानोत्पत्ति की अवस्था, स्थायित्व की अवस्था, समस्यात्मक अवस्था, सामाजिक अलगाव की अवस्था, पराश्रितता की अवस्था, मूल्य में परिवर्तन और स्थायित्व की अवस्था, बहुमुखी उत्तरदायित्वों की अवस्था, आत्मनिर्भरता की अवस्था, समायोजन की अवस्था तथा उपलब्धियां की अवस्था पर विस्तार से चर्चा की तथा इस अवस्था में होने वाले परिवर्तन जैसे की रुचियां में परिवर्तन, लैंगिक रुचियां में परिवर्तन, सामाजिक संबंधों में परिवर्तन एवं नैतिक मूल्य और आदर्शों में परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद उन्होंने प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था की समस्याओं पर भी चर्चा की जिसके अंतर्गत निम्नलिखित बिंदु शामिल थे- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, व्यवसाय संबंधी समस्याएं, वैवाहिक समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, पति-पत्नी सामंजस्य की समस्या, यौन सामंजस्य की समस्या, विवाह विच्छेदन की समस्या, कामकाजी महिलाओं की समस्या, अविवाहित महिलाओं की समस्या, वृद्ध व्यक्तियों की समस्या, पुनर्विवाह की समस्या, पारिवारिक अंतर्द्वन्द की समस्या तथा पारिवारिक विघटन की समस्या आदि। इसके साथ ही उन्होंने प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था मैं समायोजन के क्षेत्र पर भी चर्चा की जिसके अंतर्गत वैवाहिक समायोजन, आर्थिक समायोजन, ससुराल वालों से समायोजन आय के साथ समायोजन, समय के साथ समायोजन, बालकों के साथ समायोजन, किशोरी के साथ समायोजन तथा दीर्घकालीन लक्ष्यों के साथ समायोजन प्रमुख थे इसके साथ ही असमायोजन के प्रमुख कारण संवेगात्मक संतुलन का ना होना, लैंगिक असमायोजन, आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की कमी, सामाजिक एवं सांस्कृतिक असामंजस्य, पति-पत्नी के बीच आपसी मतभेद, संबंधियों से असमयोजन, पत्नी से सर्वाधिक समायोजन स्थापित करने की आशा, पत्नी का प्रतिद्वंदात्मक दृष्टिकोण आदि पर भी चर्चा की। व्याख्यान को आगे बढ़ते हुए इस अवस्था में सफल वैवाहिक समायोजन के आवश्यक घटकों के बारे में विस्तार से बताया जिस में अधिकार के स्वरूप की स्थापना, समस्याओं को सुलझाने में मतभेद, समझौता करना आदि प्रमुख थे। प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था के अंत में उन्होंने इस अवस्था की भूमिकाएँ व उत्तरदायित्व भी समझाएं। व्याख्यान के अंत में उन्होंने मध्य प्रौढ़ावस्था की विशेषताएं, इस अवस्था में होने वाले परिवर्तन महिलाओं में रजोनिवृत्ति और स्वास्थ्य समस्याएं आदि पर भी विस्तार से चर्चा की।
दिनांक 06 अक्टूबर 2023 को “उन्नत पोषण एवं मानव विकास” शीर्षक पर सप्त दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के षष्टम दिवस पर राजकीय महिला महाविद्यालय, बदायूं की डॉ० भावना सिंह ने “किशोरावस्था में विकास” शीर्षक पर ऑनलाइन प्रसार व्याख्यान दिया जिसके अंतर्गत उन्होंने किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक, किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास, नैतिक विकास, नैतिकता के निर्धारक तत्व, नैतिक विकास के स्तर, किशोरावस्था में नैतिक विकास का महत्व, किशोरावस्था में नैतिक विकास का स्वरूप, कोहलवर्ग के नैतिक विकास का सिद्धांत तथा नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने इस अवस्था में तंबाकू व धूम्रपान की लत, इसका शरीर पर प्रभाव तथा धूम्रपान से होने वाली बीमारियों के बारे में चर्चा की। इसके साथ ही इस अवस्था में यौन संचारित रोग जैसे एड्स आदि पर भी विस्तार से चर्चा की इसके साथ ही युवावस्था में गर्भावस्था की समस्या पर भी विस्तार से जानकारी प्रदान की।
आज दिनांक 07 अक्टूबर 2023 को “उन्नत पोषण एवं मानव विकास” शीर्षक पर सप्त दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का समापन हुआ। समापन पर गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ० भावना सिंह ने इस श्रृंखला को सफल बनाने के लिए प्राचार्या महोदया, समस्त विषय विशेषज्ञ, महाविद्यालय कार्यालय तथा पत्रकार बंधुओ को धन्यवाद ज्ञापित किया।