11:33 am Friday , 31 January 2025
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धर्म हीन रथ के पहिये का पथ में खकना निश्चित है,

धर्म हीन रथ के पहिये का पथ में खकना निश्चित है,

राम नाम से विमुख हुए शीषों का झुकना निश्चित

बिल्सी के माहेश्वरी भवन में हुआ श्रीराम कवि सम्मेलन

बिल्सी। नगर की श्रीराम कृष्ण समिति के तत्वावधान में माहेश्वरी भवन में बीती बृहस्पतिवार की रात श्री राम कथा का 60वां पर्व धूमधाम से आयोजित किया गया। श्री राम कथा के समापन पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता ऋषिकेष से पधारे संत अयोध्यादास रामायणी ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में जगदगुरु श्री रामचन्द्राचार्य महाराज सुशोभित हुए। यहां सबसे पहले बाहर से आए सभी कवियों को सम्मानित किया गया। यहां सबसे पहले वाणी वंदना डा.सोनरुपा विशाल द्वारा प्रस्तुत की गई। इसके बाद धौलपुर से पधारे पदम गौतम ने सुनाया-

धर्म हीन रथ के पहिये का पथ में खकना निश्चित है,

राम नाम से विमुख हुए शीषों का झुकना निश्चित

महावीर हनुमान की पूँछ में आग लगाने वाला सुनलो

सोने हो-चांदी की लंका का फुंकना निश्चित है।

डा.उमाशकर राही ने सुनाया-

राम हमारी मर्यादा हैं जन गण मन का गान हैं।

राम हमारी चित्त चेतना राम हमारा प्राण है।

बिना, राम के जन जीवन यह अर्थ हीन हो जाता है,

राम नाम में रमा हुआ यह पूरा हिंदुस्तान है।

गीतकार नरेंद्र गरल ने सुनाया-

लोक ने साधना नहीं समझी।

मौन अभ्यर्थना नहीं समझी।

जानकी की व्यथा उजागर थी

राम की वेदना नहीं समझी

संचालन कर रहे कुलदीप अंगार ने सुनाया-

राम ही राष्ट्र हैं राम ही प्राण हैं।

राम धन्वा बने राम ही वाण हैं।

बरेली से पधारे आनन्द गौतम ने सुनाया-

राम तेरी गंगा मे प्रदूषण कैरो हुआ

धर्म, संस्कृति और राजनीति के नाम पर

देख कर दृष्य नंगा आज बहुत शर्मिंदा है

अपने बेटी-बेटों पर मां गंगा।

बुलंदशहर से आए डा.आलोक बेजान ने सुनाया-

पाप जो थो रहा है ये बताए।

कि गंगा खुद कहाँ जाकर नहाए।

इसके अलावा कवि अभिषेक अनन्त, ज्ञाम्भवी पाठक दर्पण ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया। इस मौके पर मटरुमल शर्मा महाराज, अशोक राय, नरेन्द्र गरल, चन्द्रपाल तोष्णीवाल, सत्यपाल वार्ष्णेय, मनोज वार्ष्णेय, लोकेश बाबू वार्ष्णेय, नीरज कुमार माहेश्वरी, संजीव वार्ष्णेय, दुर्गेश वार्ष्णेय, आशीष वशिष्ठ, विष्णु असावा, सुवीन माहेश्वरी आदि मौजूद रहे।