11:44 am Friday , 31 January 2025
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विषय विशेषज्ञ के रूप में सुश्री श्वेता श्रीवास्तव ने प्रसार व्याख्यान दिया

विषय विशेषज्ञ के रूप में सुश्री श्वेता श्रीवास्तव ने प्रसार व्याख्यान दिया

राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं में दिनांक 03 अक्टूबर 2023 को गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में “उन्नत पोषण एवं मानव विकास” शीर्षक पर सप्त दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के तृतीय दिवस पर राजकीय संघटक महाविद्यालय,पुवायां, शाहजहांपुर की सुश्री श्वेता श्रीवास्तव ने “गर्भावस्था एवं धात्रीवस्था में पोषण की आवश्यकता” शीर्षक पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है इसीलिए इस समय पोषक तत्वों की सही मात्रा गर्भवती स्त्री को अपने आहार मे शामिल करनी चाहिए। अपने आहार में अनाज जैसे कि चावल, गेहूं, रागी,बाजरा, ज्वार और जौ से बने भोज्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए जैसे कि चपाती, डोसा, पोहा आदि, इसके साथ आहार में मैंदे से बने खाद्य पदार्थों को पूर्ण रुप से प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि मैदे से बने भोज्य पदार्थ सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छे नहीं होते। पूर्ण विराम इसके साथ ही मौसमी फल तथा हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से विटामिन तथा खनिज लवण की पूर्ति हो जाती है। प्रोटीन की पूर्ति के लिए सरसो का तेल भूख लीटर तेल अलसी का तेल तथा जैतून के तेल को निर्धारित मात्रा में लेना चाहिए चाहिए प्रोटीन के लिए दालें, अंडा, मछली, दूध बाद दूध से बने खाद्य पदार्थ आदि का सेवन करना चाहिए इसके साथ ही प्रतिदिन 10 से 12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। जिससे कि शरीर से विषैलै पदार्थ बाहर निकल सकें। गर्भावस्था की अवधि को सुखद बनाने की लिए गर्भवती स्त्री को भोजन करने की गलत आदतों जैसे नाश्ता ना करना, देर से भोजन करना, फास्ट फूड या जंक फूड का सेवन करना, निर्धारित समय पर भोजन ना करना, हानिकारक बैक्टीरिया युक्त भोजन, अधपका मांस, अपाश्चुरीकृत दूध का सेवन करने से बचना चाहिए। इस अवस्था में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा व अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व कैल्शियम, लौह तत्व, आयोडीन, ओमेगा 3, फोलिक एसिड, विटामिन डी तथा विटामिन बी12 की आवश्यक मात्रा तथा प्राप्ति के स्रोत के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद उन्होंने धात्रीवस्था पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु को सिर्फ और सिर्फ माता के दूध का ही सेवन करवाना चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी खाद्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि धात्रीवस्था के प्रारंभिक दिनों में कोलोस्ट्रम का स्त्रावण होता है, जो कि नवजात शिशु के लिए अमृत समान होता है। शिशु के सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कोलोस्ट्रम के द्वारा हो जाती है। कोलोस्ट्रम में वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है जिस कारण यह आसानी से पच जाता ,है इसी के साथ इसमें उच्च स्तर का विटामिन A, विटामिन E तथा जिंक पाया जाता है। यह एंटीबॉडी से भरपूर होता है जो कि नवजात शिशु को संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। इसके साथ ही उन्होंने फॉर्मूला फीडिंग के बारे में भी बताया। व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 6 माह से लेकर 2 वर्ष तक के बालक के लिए अनुपूरक एवं प्रारंभिक आहार पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। दोनों अवस्थाओं के अंत में उन्होंने एक दिन की आहार तालिका पर भी चर्चा की।
व्याख्यान के अंत में डॉ० भावना सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में जुडी़ सुश्री श्वेता श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया तथा छात्राओं को अगले दिन होने वाले व्याख्यान के बारे में जानकारी दी।